खाटू श्याम जी को कलियुग का देवता कहा जाता है। जो अपने भक्तों की सच्ची भावनाओं को तुरंत स्वीकार करते हैं। खाटू श्याम जी, जिन्हें “हारे का सहारा” कहा जाता है, महाभारत के वीर योद्धा बर्बरीक के रूप में जाने जाते हैं। वे भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक के पास तीन दिव्य बाणों का वरदान था, जिनसे वे कुछ ही क्षणों में युद्ध का परिणाम बदल सकते थे। जब भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि बर्बरीक सदैव कमजोर पक्ष का साथ देंगे, तो उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए उनसे शीशदान मांगा। बर्बरीक ने खुशी-खुशी अपना सिर भगवान को अर्पित कर दिया। श्रीकृष्ण ने प्रसन्न होकर उन्हें वर दिया कि कलियुग में वे “श्याम” नाम से पूजे जाएंगे और जो भी व्यक्ति सच्चे मन से उनका नाम लेगा, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी। इसी कारण आज खाटू श्याम बाबा को प्रेम, समर्पण और विश्वास के प्रतीक रूप में पूजा जाता है, और उन्हें संकट में पड़े हर भक्त का सहारा माना जाता है।

हिंदू धर्म में आरती का विशेष महत्व है। जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विश्वास से आरती करता है, उस पर श्याम बाबा की कृपा बनी रहती है और उसके जीवन की बाधाएं धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। घर में खाटू श्याम जी की आरती करने का अपना विशेष महत्व होता है।

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

खाटू धाम विराजत,

अनुपम रूप धरे॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

रतन जड़ित सिंहासन,

सिर पर चंवर ढुरे ।

तन केसरिया बागो,

कुण्डल श्रवण पड़े ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

गल पुष्पों की माला,

सिर पार मुकुट धरे ।

खेवत धूप अग्नि पर,

दीपक ज्योति जले ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

मोदक खीर चूरमा,

सुवरण थाल भरे ।

सेवक भोग लगावत,

सेवा नित्य करे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

झांझ कटोरा और घडियावल,

शंख मृदंग घुरे ।

भक्त आरती गावे,

जय-जयकार करे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

जो ध्यावे फल पावे,

सब दुःख से उबरे ।

सेवक जन निज मुख से,

श्री श्याम-श्याम उचरे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

श्री श्याम बिहारी जी की आरती,

जो कोई नर गावे ।

कहत भक्त-जन,

मनवांछित फल पावे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

जय श्री श्याम हरे,

बाबा जी श्री श्याम हरे ।

निज भक्तों के तुमने,

पूरण काज करे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे।

खाटू धाम विराजत,

अनुपम रूप धरे॥

ॐ जय श्री श्याम हरे,

बाबा जय श्री श्याम हरे ।

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