संगोष्ठी में गूंजे श्रीराम के आदर्श.
सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ऐरन ने रखी प्रेरणादायी व्याख्या
विजडम इंडिया।

देहरादून, 20 सितम्बर।

एम.के.पी. (पी.जी.) कॉलेज, देहरादून में “भारतीय संस्कृति के प्राण – श्रीराम” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कला प्रदर्शनी का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम में रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. हिमांशु ऐरन मुख्य वक्ता के रूप में विशेष आकर्षण रहे।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि विधायक राजपुर श्री खज़ान दास ने किया जबकि अध्यक्षता मुख्य विकास अधिकारी देहरादून श्री अभिनव शाह, आईएएस ने की। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ सरिता कुमार एवं डॉ ममता सिंह ने किया। उपस्थित सदस्यों में डॉ. रीता तिवारी ,डीन, फाइन आर्ट्स एवं फैशन डिज़ाइन और डॉ. इमरान अहमद डीन, आर्ट्स एंड सोशल साइंसेज़ प्रमुख रहे।

अपने ओजस्वी उद्बोधन में प्रो. डॉ. हिमांशु ऐरन ने भगवान श्रीराम के संपूर्ण व्यक्तित्व पर तर्कपूर्ण और प्रेरणादायी व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा, “श्रीराम केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि वे आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति और आदर्श राजा के रूप में जीवन के हर क्षेत्र में प्रेरणा-स्रोत हैं। उनके निर्णय, उनके नेतृत्व कौशल और समाज के प्रति उत्तरदायित्व आज की युवा पीढ़ी के लिए पथ-प्रदर्शक हैं।”
डॉ. ऐरन ने युवाओं से आह्वान किया कि वे श्रीराम के सत्य, मर्यादा और त्याग के गुणों को अपने जीवन में आत्मसात करें और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभाएँ। उन्होंने कहा कि यदि युवा श्रीराम के आदर्शों को अपनाएँ तो भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर होगा। इस अवसर उन्होंने रास बिहारी बोस सुभारती विश्विद्यालय के स्थापित प्रतिमान “शिक्षा – सेवा – संस्कार -राष्ट्रीयता” के महत्व को भी समझाया।


सभा में मौजूद छात्र-छात्राओं ने डॉ. ऐरन के हर शब्द को गहरी तन्मयता से सुना। उनके विचारों पर सभागार कई बार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उपस्थित अतिथियों ने भी माना कि डॉ. ऐरन का वक्तव्य आज के समय में युवाओं को नई दिशा देने वाला है।

इस अवसर पर फाइन आर्ट्स विभाग की अध्यापिका सुश्री प्रतिष्ठा भंडारी ने अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। ग्यारह राज्यों आए छात्र कलाकारों में रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के पाँच छात्र-छात्राओं ने श्रीराम विषय पर तैयार की गई अपनी उत्कृष्ट पेंटिंग्स प्रदर्शित कर सभी का मन मोह लिया।
अंत में आयोजकों ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह संगोष्ठी भारतीय संस्कृति की आत्मा को समझने और युवा पीढ़ी को प्रेरित करने में मील का पत्थर साबित होगी।

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