अमुथवल्ली ने बताया कि उन्होंने लगभग तीन दशक पहले स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लेने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय ऐसा नहीं हो सका। इसके बजाय उन्हें फिजियोथेरापी की पढ़ाई करनी पड़ी। पत्रकारों से बात करते हुए संयुक्ता ने कहा कि मैं अपनी मां के साथ एक ही कालेज में नहीं पढ़ना चाहती। मैं सामान्य कोटे में प्रतिस्पर्धा करना चाहती हूं। मैं किसी अन्य जगह शायद राज्य से बाहर, पढ़ाई करना चाहती हूं। उसने नीट में 450 अंक प्राप्त किए हैं।