वाराणसी के जिला अस्पताल में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ ने सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए, उन्होंने चेतावनी दी कि यदि तीन दिनों के भीतर उन्हें नहीं..

वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। जिला अस्पताल के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ मंगलवार को सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह के खिलाफ लामबंद हो गए। उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए चिकित्सकों और पैरामेडिकल कर्मचारियों ने कहा कि तीन दिन में सीएमएस नहीं हटाए गए तो हम सामूहिक इस्तीफा देंगे।

ओपीडी के बाद दोपहर में करीब दो बजे तक सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी से उनके दुर्गाकुंड स्थित कार्यालय में जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि हमें सरकारी योजनओं का नोडल बनाया गया है, लेकिन सीएमएस खुद उस पर काम करते हैं। कोई भी अनहोनी होने पर संबंधित नोडल अधिकारी को फंसाने का प्रयास किया जाता है। वरिष्ठता एवं शासकीय नियमों की अनदेखी कर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है। विरोध पर नोटिस दिया जाता है। अस्पताल के लिपिक सीएमएस के शह पर उगाही का प्रयास करते हैं। किसी भी अधिकारी, कर्मचारी और पैरामेडिकल स्टाफ का एरियर, जीपीएफ पासबुक अपडेट नहीं है। संविदा पर कार्य कर रहे बाबुओं की मिलीभगत से उनसे 20 हजार रुपये प्रति माह की मांग की जाती है। महिला स्टाफ नर्सों को घंटों अपने पास बिठाते हैं। अस्पताल में जिस रोग के विशेषज्ञ नहीं हैं उसके मरीजों को भर्ती कर लिया जाता है। वार्ता करने पर सीएमएस अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं। डॉक्टरों ने कहा कि कोविड के बाद अस्पताल पहले या द्वितीय नंबर पर था। वर्तमान सीएमएस के कार्यकाल में अब 32वें नंबर पर है। इस दौरान डॉ. पीके सिंह, डॉ. केजे पांडेय, डॉ. आरएन सिंह, डॉ. प्रेम प्रकाश, डॉ. मनीष यादव, डॉ. शिवेश जयसवाल, डॉ. प्रीतेश जयसवाल सहित अन्य मौजूद थे।

डिप्टी सीएम से हुई शिकायत

प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से मामले की शिकायत की। इसके साथ ही ये पत्र प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य), डीजी हेल्थ को भी भेजा गया है। संघ के सचिव डॉ. राजेश्वर नारायण सिंह ने कहा कि हमारे चिकित्सकों की मांग पूरी की जाए।

मैंने दलालों और बाहरी दवा के खिलाफ अभियान चलाया है। इससे मेरा विरोध हो रहा है। अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ. नीता कुलश्रेष्ठ ने ये रिव्यू दिया है कि लक्ष्य के सापेक्ष सर्जरी नहीं हो रही है। उन्होंने लक्ष्य के सापेक्ष्य सर्जरी शून्य होने पर वेतन रोकने का निर्देश दिया। मैं उसका पालन कर रहा हूं। जहां तक लिपिकों की ओर से पैसे मांगने का आरोप है तो अब तक किसी भी अधिकारी, कर्मचारी ने मुझसे कोई शिकायत नहीं की गई है। मेरे विरोध में कोई नहीं है। सादे कागज पर हस्ताक्षर कराए गए हैं।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *