समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को लोकसभा में संभल हिंसा का मामला उठाया। उन्‍होंने कहा कि अचानक ये जो घटना हुई है। ये सोची समझी साजिश के तहत वहां के भाईचारे को गोली मारने का काम हुआ है। देश के कोने-कोने में भाजपा और उनके शुभचिंतक बार-बार खुदाई की जो बात कर रहे हैं, ये खुदाई, हमारे देश का सौहार्द, भाईचारा और गंगा-जमुनी तहजीब को खो देगा। उन्‍होंने कहा कि यूपी में उपचुनाव की तारीख को 13 से बढ़ाकर 20 नवंबर कर दिया गया। अखिलेश जब संभल पर बोल रहे थे तो लोकसभा में भाजपा सदस्‍यों की ओर से लगातार आपत्ति जताई गई। शोर शराबे के बीच अखिलेश ने अपनी बात जारी रखी। उन्‍होंने संभल हिंसा के लिए याचिका दायर करने वालों के साथ पुलिस-प्रशासन को जिम्‍मेदार ठहराते हुए संबंधित अफसरों को सस्‍पेंड करने और उनके खिलाफ हत्‍या का मुकदमा दर्ज कराने की मांग की।

सपा मुखिया ने कहा कि संभल की शाही जामा मस्जिद के खिलाफ सिविल जज सीनियर डिविजन के यहां एक याचिका डाली। दूसरे पक्ष को सुने बिना कोर्ट ने उसी दिन सर्वे का आदेश दे दिया और अधिकारी उसी दिन दो घंटे बाद पुलिस बल के साथ सर्वे के लिए जामा मस्जिद पहुंच भी गए। जामा मस्जिद की कमेटी और अन्‍य लोगों ने पूरा सहयोग दिया। संभल के डीएम और एसपी ने ढाई घंटे सर्वे के बाद कहा कि सर्वे पूरा हो चुका है और रिपोर्ट कोर्ट को भेज दी जाएगी। लेकिन 22 नवंबर को जब लोग जुमे की नमाज के लिए पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। उसके बाद भी लोगों ने संयम बरतते हुए नमाज अदा की और किसी प्रकार का विरोध प्रदर्शन नहीं किया। 29 नवंबर की तारीख को कोर्ट में सुनवाई तय थी। मस्जिद पक्ष के लोग कोर्ट में सुनवाई के लिए तैयारी कर रहे थे लेकिन 23 नवंबर की रात पुलिस प्रशासन ने कहा कि अगली सुबह दोबारा सर्वे किया जाएगा। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे तो पूरा हो चुका है। दोबारा सर्वे कराना ही है तो कोर्ट से आदेश लें लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई। तानाशाही दिखाते हुए सुबह के वक्‍त से पहले शाही जामा मस्जिद आ गए।

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