काशी की धरती की आध्यात्मिक शक्ति देश के ही लोगों ने नहीं, विदेशियों और गैर सनातन के लोगों को भी हमेशा अपनी ओर आकर्षित किया है। इन्हीं में से एक थे ईरान के इस्फहान शहर में जन्मे शेख अली हजीन। वह आज से लगभग 300 वर्ष पूर्व भारत आए थे। देश के विभिन्न शहरों का भ्रमण करते जब वे काशी पहुंचे तो फिर यहां की आध्यात्मिकता इस कदर भायी कि यहीं के होकर रह गए।

ईरान की हुकूमत ने जब उन्हें वापस बुलाना चाहा तब उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि ‘आ बनारस ना रवम, मा बदे आम इजा अस्त, हर ब्राम्हण पिसरे लक्ष्मणों राम ईजा अस्त’ यानी बनारस इबादत की एक आम जगह है, यहां का बच्चा-बच्चा मुझे राम और लक्ष्मण दिखाई देता है। 266 साल पहले उन्होंने यहां आखिरी सांस ली और यहीं दरगाहे फातमान में सुपुर्द ए खाक किए गए।

फारसी के बहुत बड़े विद्वान थे शेख

तत्कालीन काशी नरेश महाराजा चेत सिंह ने उनकी विद्वत्ता को देखते हुए उनका एहतराम किया और बनारस में उन्हें जमीन प्रदान की। उन्होंने महाराज के बच्चों को फारसी की तालीम दी, क्योंकि वो फारसी के बहुत बड़े विद्वान थे।

शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर बताते हैं कि दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख अली हजीन की बरसी हर साल इस्लामिक कैलेंडर के पांचवे महीने की 11 तारीख को मनाई जाती है। इस वर्ष यह 14 नवंबर जुमेरात को शाम पांच बजे से शाम 6.30 बजे तक मनाई जाएगी। 

इस मौके पर मौलाना सैयद ज़मीउल हसन रिजवी जव्वादिया कालेज, मौलाना सैयद मोहम्मद अकील हुसैनी इमामिया कालेज तथा डा. शफीक हैदर इंचार्ज जामिया हास्पिटल वक्ता के रूप में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम दरगाह के मुतवल्ली शफक रिजवी की निगरानी में आयोजित होगा। 

श्री मार्कण्डेय महादेव मंदिर का वार्षिक श्रृंगार आज

दूर दराज से भक्तगण का आना प्रारम्भ

चौबेपुर। कैथी स्थित श्री मार्कंडेय महादेव मंदिर का 82 वां वार्षिक श्रृंगार उत्सव आज मनाया जाएगा। तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से विद्युत झालरों और फूलों से सजाया गया है।
0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *