समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का धैर्य टूटने लगा है. वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि क्‍या करें. सवाल ये है कि क्या वे अपने फैसले पर अड़े रहें. महाराष्ट्र चुनाव को लेकर उनकी रणनीति अब उनके लिए ही मुसीबत बन गई है. महाराष्‍ट्र में उन्होंने समाजवादी पार्टी के पांच उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी. मालेगांव और धुले जाकर तो अखिलेश यादव ने पब्लिक से वोट भी मांगा था. दो दिनों के महाराष्ट्र दौरे के आखिरी दिन उन्होंने कम से कम बारह सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. उन दिनों महाविकास अघाड़ी में सीटों का बंटवारा भी नहीं हुआ था. हालांकि प्रेशर पॉलिटिक्स के लिए उन्होंने पांच टिकट फाइनल कर दिए.

अखिलेश यादव हरियाणा वाली गलती नहीं दोहराना चाहते थे. वे इंतजार करते रह गए और कांग्रेस ने उनके लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी. राहुल गांधी ने खुद उनसे ऐसा वादा किया था. मजबूरी में अखिलेश यादव ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया. समाजवादी पार्टी ने हरियाणा में कांग्रेस के समर्थन की घोषणा कर दी. पर कांग्रेस की हार होते ही अखिलेश ने चुटकी ले ली. उन्होंने कहा हरियाणा से इंडिया गठबंधन को सबक सीखना चाहिए. अब यही सबक वाले सवाल फिर से अखिलेश यादव के सामने हैं.

समाजवादी पार्टी रह गई खाली हाथ 

महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे को लेकर महा विकास अघाड़ी के घटक दलों में बातचीत जारी है. कई सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा भी हो चुकी है. लेकिन समाजवादी पार्टी को उसके भाग्य पर छोड़ दिया गया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी शरद पवार से भी मिल चुके हैं, जिन सीटों पर पार्टी लड़ना चाहती है, उसकी लिस्ट भी कांग्रेस तक पहुंच चुकी है, लेकिन अब तक समाजवादी पार्टी के खाते में कुछ नहीं आया है.

समाजवादी पार्टी ने 5 सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिए हैं. शिवाजी  नगर और भिवंडी ईस्ट पर पार्टी पिछला चुनाव जीत चुकी है, जबकि दो ऐसी सीटें हैं जहां पिछले चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के नेता जीते थे. समाजवादी पार्टी की तरफ से घोषित 5 में से 3 सीटों पर महा विकास अघाड़ी ने उम्मीदवार उतार दिए है.

गठबंधन में थी चुनाव लड़ने की तैयारी, लेकिन… 

इसके बाद से ही समाजवादी पार्टी कैंप में हलचलें तेज हो गई हैं. अखिलेश यादव का गुस्‍सा सातवें आसमान पर है. वे तो गठबंधन में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे और यहां कोई उनसे बात भी नहीं कर रहा है. इसीलिए अखिलेश यादव कहते हैं कि राजनीति में त्याग के लिए कोई जगह नहीं होती है. उन्होंने कहा कि आगे क्या करना है, इस पर समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष फैसला करेंगे. पहले इस गठबंधन में रहने की कोशिश करेंगे, लेकिन वे हमें गठबंधन में नहीं रखेंगे तो हम उन सीटों पर लड़ेंगे जिनसे गठबंधन को नुकसान नहीं होगा.

अब सबकी नजर अखिलेश यादव के फैसले पर है. क्या समाजवादी पार्टी इस बार महा विकास अघाड़ी के खिलाफ चुनाव लड़ेगी. ऐसा हुआ तो फायदा महायुति का है. अखिलेश पहले ही पांच टिकट दे चुके हैं. कांग्रेस कहीं इसी बहाने यूपी का बदला समाजवादी पार्टी से महाराष्ट्र में तो नहीं लेना चाहती है, राजनैतिक गलियारों में इस बात की बड़ी चर्चा है.

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