हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर यूपी में होने वाले विधानसभा उपचुनाव पर भी पड़ता दिख रहा है। जीती हुई बाजी हरियाणा में हारने वाली कांग्रेस को यूपी में अखिलेश यादव ने ज्यादा सीटें नहीं दीं, जिसके बाद पार्टी ने अपना उम्मीदवार देने से मना कर दिया। कांग्रेस के सिंबल पर कोई भी उम्मीदवार मैदान में नहीं होगा। महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ ही यूपी में भी 9 सीटों पर उपचुनाव होना है। समाजवादी पार्टी (सपा) ने सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं। हालांकि, खैर विधानसभा सीट से बसपा से कांग्रेस में शामिल हुईं चारू कैन को टिकट दिया है, लेकिन वह भी सपा के ही चुनाव चिह्न पर मैदान में होंगी। पहले अटकलें लगाई जा रही थीं कि नौ सीटों में से पांच या छह पर सपा तो चार या तीन पर कांग्रेस चुनाव लड़ सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। अखिलेश यादव ने कांग्रेस के ‘हाथ’ को सपा की ‘साइकिल’ देने से दूरी बना ली।
हरियाणा गंवाने से कांग्रेस की तोलमोल की ताकत हुई कम
लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के बैनर तले लड़ने वाली कांग्रेस और सपा ने यूपी में शानदार प्रदर्शन किया था। इसके बाद हरियाणा में भी साफ था कि कांग्रेस भारी बहुमत से चुनाव जीतने जा रही है, लेकिन नतीजों ने सभी को चौंका दिया। बीजेपी ने लगातार तीसरी बार सरकार बना ली। कांग्रेस के हरियाणा गंवाने से न सिर्फ पार्टी, बल्कि पूरे इंडिया गठबंधन को तगड़ा झटका लगा। लोकसभा चुनाव के नतीजों से जो हवा इंडिया गठबंधन के पक्ष में बहने लगी थी, उस पर ब्रेक लग गया। हरियाणा की हार का असर यह हुआ कि कांग्रेस की यूपी उपचुनाव में तोलमोल की ताकत कम हो गई। अखिलेश यादव ने गाजियाबाद और खैर सीटें ही कांग्रेस को ऑफर कीं, लेकिन दोनों में हार तय मानी जा रही। दरअसल, दोनों ही सीटें बीजेपी का गढ़ रही हैं। ऐसे में उपचुनाव से दूरी बनाने में ही कांग्रेस ने भलाई समझी।
महाराष्ट्र-झारखंड में पूरा फोकस रखना चाहती है कांग्रेस
हरियाणा में हार के बाद अब कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव काफी अहम हो गए हैं। अभी सिर्फ तीन राज्यों में ही कांग्रेस की पूर्ण सरकारें हैं। कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश। पार्टी को न सिर्फ झारखंड की अपनी गठबंधन सरकार को कायम रखना है, बल्कि महाराष्ट्र में भी वापसी करनी है। इसी वजह से महाविकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस ने उद्धव सेना और शरद पवार वाली एनसीपी के सामने ज्यादा डिमांड नहीं की। पहले माना जा रहा था कि सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस और फिर उद्धव सेना और तीसरे पर शरद पवार की पार्टी लड़ सकती है, लेकिन बीते दिन साफ हो गया कि तीनों दल 85-85-85 सीटों पर ही चुनाव लड़ेंगे। बाकी की 18 सीटों को गठबंधन के दलों को दिया जाएगा, जबकि 15 सीटों पर बातचीत जारी है। अब कांग्रेस पूरी तरह से महाराष्ट्र और झारखंड पर ही फोकस करना चाहती है, जिससे आम चुनाव के बाद बना मोमेंटम वापस पाया जा सके।
