लोकसभा चुनाव में पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद कांग्रेस उत्साहित है। इसी कड़ी में रायबरेली से सांसद राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनाया गया है। गांधी परिवार में राहुल गांधी से पहले उनकी मां और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी और पिता व पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी नेता विपक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। नेता विपक्ष का पद विपक्ष के पास दस सालों के बाद आया है, क्योंकि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को कुल की दस फीसदी सीटें भी नहीं मिली थीं। अब नेता विपक्ष बनने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) डायरेक्टर, मुख्य चुनाव आयुक्त, नेशनल ह्यूमन राइट कमिशन चेयरपर्सन, चीफ विजिलेंस कमिश्नर आदि की नियुक्ति में राहुल गांधी की राय ली जाएगी।

पिछले दो लोकसभा में कांग्रेस की ओर से नेता सदन मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी रहे। अब जब राहुल गांधी नेता विपक्ष बन गए हैं तो देश में होने वाली अहम नियुक्तियों में उनकी राय अहम होगी। हालांकि, 2-1 से केंद्र सरकार के पास एडवांटेज होगा, लेकिन फिर भी विपक्ष की ओर से राहुल गांधी चेहरा होंगे और इन मुद्दों पर स्टैंड लेंगे कि इन नियुक्तियों का समर्थन करना है या फिर विरोध। जैसे मुख्य चुनाव आयुक्त चुने जाने के समय कमेटी में प्रधानमंत्री मोदी, एक केंद्रीय मंत्री और नेता विपक्ष- राहुल गांधी शामिल होंगे।

54 वर्षीय राहुल गांधी ने संसद में अपने करियर में पहली बार इतनी बड़ी जिम्मेदारी ली है। 2004 से अभी तक वे लगातार सांसद तो रहे हैं, लेकिन 2004 से 2009 की यूपीए-1 और 2009 से 2014 तक की यूपीए-2 सरकार में वे केंद्रीय मंत्री तक नहीं बने। अब राहुल गांधी गांधी परिवार के तीसरे ऐसे व्यक्ति होने जा रहे हैं, जोकि नेता विपक्ष बने हैं। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी वीपी सिंह की सरकार के समय 1989-90 के दौरान नेता विपक्ष की जिम्मेदारी निभाई थी, जबकि राहुल गांधी की मां और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 1999-2004 के दौरान पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान नेता विपक्ष बनी थीं। अब राहुल गांधी मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के दौरान नेता विपक्ष बने हैं।

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