मथुरा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर विजेंदर सिंह को टिकट देकर चुनावी मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। ऐसे में यहां से दो बार की सांसद हेमा मालिनी को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
लोकसभा चुनाव में चंद दिन बचे हैं। उससे पहले सभी पार्टियों की ओर से बाकी बची सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम के ऐलान करने का सिलसिला जारी है। इस बीच, उत्तर प्रदेश की मथुरा लोकसभा सीट से कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर विजेंदर सिंह को टिकट देकर चुनावी मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। ऐसे में यहां से दो बार की सांसद और सिनेस्टार हेमा मालिनी को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
वैसे तो 75 वर्षीय अभिनेत्री हेमा मालिनी, नरेंद्र मोदी सरकार की छवि और काम पर बहुत अधिक निर्भर हैं। साथ ही उन्हें ब्रज मंडल में चल रही हिंदुत्व लहर पर भी भरोसा है। हेमा मालिनी का सामना एक तरफ जहां I.N.D.I.A अलायंस से ओलंपियन बॉक्सर विजेंदर सिंह से होगा, तो दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी से पूर्व-आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह मैदान में हैं।
उम्मीदवारों की छवि?
इस निर्वाचन क्षेत्र में जाट वोटों का बड़ा हिस्सा है। यहां लगभग पांच लाख वोट हैं। हेमा मालिनी लोकप्रिय बॉलीवुड स्टार धर्मेंद्र की पत्नी होने के नाते जाट समुदाय के समर्थन का दावा करती हैं। बॉक्सर विजेंदर सिंह हरियाणा के भिवानी से आते हैं, लेकिन मथुरा का प्रतिनिधित्व करने के इच्छुक हैं। बसपा के सुरेश सिंह सेवानिवृत्ति के बाद मथुरा में एक शैक्षणिक संस्थान के प्रमुख हैं और अपने शैक्षणिक व सामाजिक कार्यों के कारण उनकी छवि साफ-सुथरी है।
शिकायतों की लंबी लिस्ट
हेमा मालिनी मथुरा और वृंदावन की रूपरेखा बदलने और कई बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को शुरू करने में बहुत सक्रिय रही हैं। उनके नेतृत्व में मथुरा वृन्दावन तीर्थ विकास बोर्ड ने एक दर्जन विकास कार्य किए हैं। श्रीकृष्ण भक्त हेमा मालिनी मथुरा से सांसद के रूप में अपने कार्यकाल में अपने अधूरे एजेंडे को पूरा करने की इच्छुक हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों की शिकायतों की एक लंबी लिस्ट भी है, जिनमें प्रमुख यह है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र की तुलना में मुंबई में ज्यादा समय बिताती हैं।
समर्थन में हैं जयंत चौधरी
कई लोग उन्हें वृन्दावन, गोवर्धन और बरसाना में यमुना की सफाई, औद्योगिक विकास और भीड़ प्रबंधन जैसे लंबे समय से लंबित स्थानीय मुद्दों को हल करने में विफलता के लिए दोषी मानते हैं। हालांकि, स्थानीय बीजेपी नेतृत्व उत्साहित है, क्योंकि रालोद के जयंत चौधरी जो 2014 में हेमा मालिनी से हार गए थे, अब एनडीए के साथ गठबंधन के कारण उनके समर्थन में हैं।
क्या है सियासी समीकरण?
बता दें कि जयंत चौधरी 2009 में बीजेपी के समर्थन से जीते थे, लेकिन 2014 में हार गए थे। मथुरा के वरिष्ठ पत्रकार पवन गौतम कहते हैं, ”लोग इस बार मोदी के नेतृत्व वाली पार्टी को वोट देंगे, उम्मीदवारों को नहीं, इसलिए जिसे भी टिकट मिलेगा वह आराम से जीत जाएगा।” उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 27 मार्च को मथुरा में स्थानीय बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए चुनाव प्रचार शुरू किया। उन्होंने संकेत दिया कि मथुरा अब ध्यान का केंद्र होगा और वृन्दावन की संकरी गलियां बदलाव की हकदार हैं। मथुरा में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को वोटिंग होगी।