कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्म प्रकाश जी ने की, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने, संचालन श्रमिक नेता अनिल मिश्र ने किया, मुख्य अतिथि सम्राट सिंह ने सभी साथियों के साथ महान संत, प्रेरणा पुरुष, सर्व धर्म सम भाव को देश, विदेश में प्रचारित करने वाले महा मानव स्वामी विवेका नन्द के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हे स्मरण कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प ले, उनके विचार को जन-जन में पहुंचाने तथा अंधविश्वास और पाखंड के विरुद्ध उनके द्वारा किये गये कार्यों को बताने का भी संकल्प लिया, उनका जन्म-दिन “सर्व धर्म सम भाव” के रूप में मनाया गया |
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षाविद राम दुलार यादव ने कहा कि स्वामी विवेका नन्द ने विदेशों में भी भारत के दर्शन को प्रचारित कर देश का मान बढ़ाया, वह सद्भाव, भाईचारा, प्रेम, भक्ति के प्रबल समर्थक और किसी धर्म के विरुद्ध नफरत, ईर्ष्या, द्वेष, असहिष्णुता के घोर विरोधी रहे, वह राजा की सर्वश्रेष्ठता को, स्वच्छकार भी वैसा ही है ऐसे मानते थे, वे भारत वासियों को निडर और साहसी बनाना चाहते थे, वह मानव में आलस्य को सबसे बड़ा शत्रु मानते थे, तथा कहा करते थे कि जाति और धार्मिक पाखंड से ऊपर उठकर सबको समान समझो, ऊंच-नीच की व्यवस्था को सामाजिक कोढ़ मानते हुए उसे दूर करने का उपदेश दिया करते थे, उन्होने देश के युवाओं को भी संदेश दिया कि “उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य नहीं प्राप्त हो जाता” | चिंतामुक्त चिंतन करो, नये विचारो को जन्म दो, वह कहा करते थे कि मै सन्यासी अपनी मुक्ति के लिए नहीं, लोगों को दुखों से मुक्ति के लिए बना हूँ, और उनकी मुक्ति के लिए जीवन भर प्रयत्न करता रहूँगा, लेकिन 21 वीं शदी में उनका नाम लेने वाले उनके विचार के विरुद्ध आचरण करने पर आमादे है, झूठ और लूट का, नफरत और असहिष्णुता का, भ्रष्टाचार और अनाचार का वातावरण बनाया जा रहा है, युवा, किसान, व्यापारी, मजदूर, कर्मचारी, मंहगाई, बेकारी, बेरोजगारी से त्रस्त है, धार्मिक पाखंड फैलाकर लोगों को मानसिक गुलामी की ओर ले जाया जा रहा है, अंधभक्ति, अंधश्रद्धा के कारण देशवासी अनिर्णय की स्थिति में है, देश पर कर्ज बढ़ता जा रहा है, गरीबों को 5 किलो मुफ्त राशन देकर अमीरों के लिए नीतियाँ बनाने में सारी शक्ति लगाई जा रही है, यह भारत जैसे विकासशील देश के लिए शुभ संकेत नहीं है, शिक्षा और चिकित्सा गर्हित अवस्था में पहुंचाई जा रही है, संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का लगातार कार्य हो रहा है, शहीदों और स्वतन्त्रता सेनानियों ने देश और देश वासियों को गुलामी से मुक्ति करने के लिए यातनाएँ झेली, जेल गये, अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया, उन्हे भुलाया जा रहा है, यह शर्मनाक स्थिति पैदा की जा रही है, अपने गुरु के आदेश से विवेका नन्द जी ने माँ काली से त्याग, तपस्या, ज्ञान ही मांगा, अपने सुख के लिए कोई साधन नहीं मांगा, हम स्मरण करना चाहते है “सर्व धर्म सम भाव” सभी धर्मावलम्बियों का सम्मान, चाहते है, तो स्वामी के विचार और ज्ञान से लोगों को अवगत कराना होगा, तभी हम उनका जन्म दिन मनाने के असली हकदार होंगे, यह काम अहंकार, छल, कपट, झूठ से असंभव है|
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शामिल रहे, राम दुलार यादव, ब्रह्म प्रकाश, सम्राट सिंह, ड़ा0 देवकर्ण चौहान, एस0 एन0 जायसवाल, हुकुम सिंह, पंडित विनोद त्रिपाठी, इंजी0 धीरेन्द्र यादव, ताहिर हुसैन, रामेश्वर यादव, राजेंद्र सिंह, मुनीव यादव, विजय भाटी एडवोकेट, बैजनाथ रजक, अंशु ठाकुर, फूलचंद पटेल, ओम प्रकाश अरोड़ा, अरुण कुमार पटेल, अमरनाथ, हाजी मोहम्मद सलाम, प्रेम चंद पटेल, शिवम पाण्डेय, सुदर्शन यादव, राजीव गर्ग, शीतल, रेशमा, लक्ष्मी नारायण सहगल, सुभाष यादव, भक्ति यादव, अखिलेश कुमार शुक्ल, सुरेश कुमार भारद्वाज, हरिकृष्ण, खुमान, नवीन कुमार आदि|

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