जन्मजात हृदय दोषों के बारे में विस्तार से जानकारी दी
रिपोर्ट– राशिद पठान झांसी
झांसी! यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल झांसी में इंटरवेंशन एंड पीडिएट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग में कंसल्टेंट डॉक्टर योगेश द्विवेदी ने कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट यानी जन्मजात हृदय दोषों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. जन्मजात हार्ट डिफेक्ट्स यानी वो परेशानी जो बच्चे के दिल के अंदर पैदाइशी होती हैं. भारत में हर 125 बच्चों में से कम से कम 1 बच्चा इस तरह के डिफेक्ट के साथ पैदा होता है. बच्चों में जो पैदाइशी समस्याएं होती हैं, उनमें हार्ट डिफेक्ट्स काफी आम है
स्वास्थ्य के प्रति जानकारी का अभाव इस तरह की बीमारियों का एक बड़ा कारण बनता है और भारत में जन्मजात हार्ट डिफेक्ट्स के कारण बच्चों की मृत्यु दर 10 फीसदी है. इन बच्चों में ज्यादातर की कंडीशन ऐसी होती है कि उनका इलाज किया जा सकता है और लंबे समय तक वो ठीक रह सकते हैं. जन्मजात डिफेक्ट्स वाले मामलों में से करीब 30 फीसदी गंभीर मामले होते हैं जिन्हें जल्दी इलाज की आवश्यकता रहती है बच्चे के अंदर कैसे पहचान करें माता-पिता 1- ब्लू बेबीज: नीलापन, हार्ट डिजीज का बहुत ही बड़ा इंडिकेटर होता है. जिन बच्चों के अंदर नीलापन होता है, आमतौर पर उन्हें जन्मजात हार्ट डिफेक्ट की गंभीर शिकायत रहती है. नीले बच्चे ज्यादातर समय साइनोटिक स्पेल्स के एपिसोड से ग्रस्त होते हैं जिससे नीलेपन में वृद्धि होती है, साथ ही इससे सांस लेने की गहराई और दर में वृद्धि होती है, जिससे लंगड़ापन, ऐंठन या बेहोशी होती है 2-बार-बार चेस्ट इंफेक्शन: चेस्ट में बार-बार इंफेक्शन बच्चे के अंदर हार्ट डिजीज का कारण हो सकता है. कॉमन कोल्ड, हल्की खांसी या खराश हार्ट डिजीज से संबंधित नहीं होते हैं. चेस्ट इंफेक्शन में आमतौर पर बुखार, फास्ट ब्रीदिंग और चेस्ट की ड्राइंग होती है और इसे ठीक करने के लिए आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत होती है.

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