डाॅ जयेश मिश्र आचार्य जी जौनपुर ।
धन भाव मतलब कुंडली का दूसरा भाव होता है यह भाव जातक के धन, संपत्ति का है राहु एक ऐसा मायावी ग्रह है जो पल भर में जातक को पलक झपकते ही उचाईयो पर ले जा सकता है तो उचाईयो से नीचे भी लाकर खड़ा कर सकता है।जब राहु शुभ स्थित्ति में कुंडली के दूसरे भाव या दूसरे भाव के स्वामी के साथ शुभ स्थिति में होता है तब असीमित धन-संपदा का स्वामी बना सकता है।जिससे जो जातक व्यापार करते है या कोई ऐसा कार्य करते है जिसमे बड़ा धन लाभ होता है उनको शुभ राहु आर्थिक रूप से काफी उन्नति देता है क्योंकि राहु सब रास्ते जानता है जातक को क्या चीज कैसे हासिल करवानी है??,दूसरे भाव या भावेश के साथ शुभ स्थिति में इसका होना आर्थिक उन्नति बहुत देगा और यदि दूसरे भाव स्वामी या दूसरे भाव मे अशुभ स्थिति में होगा तब जातक को रुपये-पैसे के लिए तरसा भी देगा।। अब राहु कैसे धन का फायदा देता है दूसरे भाव मे इस विषय में जानते है।। जब यह द्वितीय भाव में शुभ स्थिति में होगा और द्वितीय भाव का स्वामी भी अच्छी स्थिति में होगा तब अपनी दशा-अंतरदशा में शुभ फल देगा,जैसे धन-वैभव, बड़ी कार्य क्षेत्र में सफलता क्योंकि धन तब ही आएगा जब कोई रोजगार होगा साथ ही यदि यह अशुभ स्थिति में होगा तब यह आर्थिक नुकसान भी दे सकता है।


अब कुछ उदाहरणों से समझते दूसरे भाव का राहु कैसे शुभ फल करेगा? उदाहरण:- सिंह लग्न की कुंडली मे दूसरे भाव मे राहु कन्या राशि का होकर बैठेगा, यहाँ राहु राशि स्वामी बुध होगा तब बुध और राहु दोनो बलवान होंगे तब राहु की दशा में। आर्थिक लाभ, आर्थिक उन्नन्ति होगी और धन वृद्धि के मार्ग खुलेंगे, धन वृद्धि या धन राहु किस रास्ते से देगा इसके लिए 11वे भाव और इस भाव के स्वामी की स्थिति पर विचार करना जरूरी होगा क्योंकि 11वा भाव धन आने का रास्ता है।। अब राहु दूसरे भाव मे बली और शुभ स्थिति में बैठा होगा और किसी तरह के राजयोग आदि में होगा तब बड़ा मुनाफा देगा, ऐसे जातक अपने व्यापार या कार्यक्षेत्र से बहुत रुपया पैसा कमाते है, खासकर राहु या दूसरे भाव मे बेठे राहु से शुभ संबंध में बैठे ग्रहो की दशाओ में।। अब कभी ऐसा भी होता है जब दूसरे भाव मे राहु धन के लिए नुकसान देने वाला भी बन जाता है।यह तब ही होता है जब राहु दूसरे भाव मे खुद अशुभ हो या दूसरे भाव का स्वामी अशुभ होगा,जैसे:- उदाहरण अनुसार:- किसी जातक की धनु लग्न की कुंडली बने तब यहाँ धन भाव दूसरे भाव का स्वामी शनि होता हैं अब राहु दूसरे भाव मे शनि के साथ हो, या दूसरे भाव मे शनि के घर मे बैठकर राहु शनि को पीड़ित करता हो या शनि अस्त हुआ या अन्य तरह से अशुभ स्थिति में हुआ तब राहु नुकसान देगा, राहु यहाँ कोई रुपये-पैसे के लिए अच्छा फल नही करेगा।। राहु दूसरे भाव मे तब ही राजयोग जैसा फल देगा जब यह शुभ होगा, दूसरे भाव में शुभ राहु धन-संपदा के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी होता है बशर्ते राहु शुभ होना जरूरी है क्योंकि जो धन-रुपया, संपदा जातक पूरी ज़िंदगी भर कमाने में लगा देता है वह दूसरे भाव मे बैठा शुभ राहु व्यापार या किसी भी माध्यम से बहुत कम समय मे कमवा देता है।। इस तरह द्वितीय भाव में शुभ होने पर राहु धन-संपदा देने वाला है।।

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