हालिया विधानसभा चुनावों के बाद तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। इनमें से एक (मध्य प्रदेश) में सत्ता बरकरार रही है, जबकि दो राज्यों (छत्तीसगढ़ और राजस्थान) में कांग्रेस को हराकर पार्टी ने पांच साल बाद सत्ता में वापसी की है। पार्टी ने इसके साथ ही तीनों राज्यों में नए नेतृत्व को लेकर नई पॉलिटिकल पिच तैयार करते हुए सबको चौंका दिया है।

छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के तौर पर नए चेहरे को सामने लाकर बीजेपी ने समाज के निम्नवर्गीय समूहों के लिए एक मजबूत प्रतीकात्मक आधार तैयार किया है और नई सोशल इंजीनियरिंग गढ़ कर नया संदेश देने की कोशिश की है। बीजेपी ने ऐसा विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस की जाति जनगणना की मांग के मद्देनजर किया है। ऐसा कर बीजेपी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के प्रतिनिधित्व का विस्तार करने के साथ-साथ उस वर्ग को अपने पाले में लामबंद करने की कोशिश की है।

बीजेपी ने किसे और क्यों चुना?
बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के रूप में अपना पहला आदिवासी मुख्यमंत्री चुना है, जबकि अरुण साव, जो ओबीसी तेली समुदाय से हैं, और विजय शर्मा, एक ब्राह्मण नेता, जिन्होंने कवर्धा से कांग्रेस के मोहम्मद अकबर को हराया है, के उपमुख्यमंत्री बनने की  संभावना है। मध्य प्रदेश में भी बीजेपी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर चौंकाया है। वह ओबीसी के यादव जाति से आते हैं, जिसने यूपी और बिहार में लोहियावादी और हिंदुत्व विरोधी राजनीति को आगे बढ़ाया है। मध्य प्रदेश में एक डिप्टी सीएम, जगदीश देवड़ा, दलित हैं तो दूसरे राजेंद्र शुक्ला, ब्राह्मण हैं। केवल राजस्थान में ही पार्टी ने भजन लाल शर्मा के रूप में “उच्च जाति” का मुख्यमंत्री चुना है। वहां भी एक डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा दलित हैं जबकि दूसरी दीया कुमारी राजपूत समुदाय से हैं। भजन लाल 33 साल बाद राजस्थान का ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनने वाले शख्स हैं।

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