शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन चार जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होगा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान एससीओ के 22वें शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।

मगर यहां भारत ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत आभासी तौर पर करने जा रहा है। यानी इसका मतलब है एससीओ के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस सम्मेलन में ऑनलाइन शामिल होंगे। इस दौरान किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष का आगमन भारत में नहीं होगा। भारत ने शुक्रवार को कहा कि चार जुलाई को एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का निर्णय विभिन्न कारकों को ध्यान में रखकर किया गया था। इस कार्यक्रम के व्यक्तिगत रूप से आयोजित होने के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई है। बैठक से एक महीने पहले एक आश्चर्यजनक घटना चक्र में भारत के विदेश मंत्रालय ने 30 मई को घोषणा की कि एससीओ शिखर सम्मेलन 4 जुलाई को आभासी प्रारूप में आयोजित किया जाएगा।

भारत क्यों करा रहा इस तरह सम्मेलन?

भारत की तरफ से की जाने वाले वर्चुअल सम्मेलन के कई मायने सामने आते हैं। पहला ये कि यदि ये मीटिंग वर्चुअल नहीं होती तो एक व्यक्तिगत मुलाकात से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के आमने-सामने आ जाते। ऐसे समय में जब दोनों देशों के साथ भारत के संबंध सबसे निचले स्तर पर हैं, तब उनसे आमने-सामने मिलकर बातचीत करने का कोई मतलब नहीं बनता। चीन के साथ भारत के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मतभेद मुख्य कारण हैं वहीं पाकिस्तान के साथ कश्मीर और आतंकवाद जैसे मामलों पर गतिरोध है।

इस संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची बागची ने कहा कि एससीओ शिखर सम्मेलन के आभासी प्रारूप का मतलब है कि किसी भी द्विपक्षीय बैठक की कोई गुंजाइश नहीं होगी। साप्ताहिक समाचार ब्रीफिंग में इस मामले के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारतीय पक्ष ने कभी यह घोषणा नहीं की थी कि शिखर सम्मेलन व्यक्तिगत रूप से होगा। उन्होंने कहा, “जैसा कि आप जानते हैं, हाल के सालों में कई अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आभासी प्रारूप में हुए हैं। सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए हमने तय किया कि एससीओ का आने वाला शिखर सम्मेलन वर्चुअल तरह से किया जाए।

उन्होंने कहा, “इस शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन और आयोजन की तैयारी चल रही है और हमें विश्वास है कि यह उल्लेखनीय परिणाम देगा और सफल होगा।” बागची ने कहा कि उन्हें भौतिक प्रारूप में होने वाली बैठक के संबंध में किसी भी घोषणा के बारे में पता नहीं है। उन्होंने कहा, “हमने अब एससीओ भागीदारों को 4 जुलाई को आभासी प्रारूप में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के बारे में बता दिया है और हमारी उम्मीद है कि हर कोई इसमें शामिल हो सकेगा।”

भारतीय पक्ष के फैसले ने इसके पीछे के कारणों के बारे में गहन अटकलों को जन्म दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार कुछ एससीओ देशों के नेताओं ने अपनी भागीदारी की पुष्टि नहीं की थी। 5 मई को गाओ में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में बोलते हुए, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह कहते हुए अपना भाषण समाप्त किया था कि “हम एक साथ एससीओ … नई दिल्ली में शिखर बैठक को एक बड़ी सफलता बना सकते हैं।”

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *