केंद्र और मणिपुर सरकार ने राज्य में जातीय संघर्ष के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया है। दंगे में मारे गए व्यक्ति के परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी जाएगी।

अधिकारियों ने कहा कि मुआवजे की राशि केंद्र और राज्य सरकार बराबर-बराबर वहन करेंगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के बीच सोमवार रात को हुई बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में मुआवजा पैकेज की घोषणा को लेकर फैसला किया गया।

इस बैठक में यह सुनिश्चित करने का भी फैसला किया गया कि बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए पेट्रोल, एलपीजी गैस, चावल और अन्य खाद्य सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुएं अधिक मात्रा में उपलब्ध हों। गृह मंत्री सोमवार रात को विमान से इंफाल पहुंचे और उनके साथ गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका भी थे। अमित शाह ने मंगलवार को मैतेई और कुकी समुदाय से जुड़े राजनीतिक व नागरिक संस्था के नेताओं के साथ कई बैठकें कीं और चुराचांदपुर का दौरा किया। चुराचांदपुर इस महीने की शुरुआत में हुए दंगे में बुरी तरह प्रभावित इलाकों में से एक है।

मीराबाई चानू समेत 11 खिलाड़ियों ने लिखा पत्र
वहीं, ओलंपियन समेत मणिपुर के 11 खिलाड़ियों ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य के मौजूदा संकट का समाधान खोजने की अपील की है। ओलंपिक पदक विजेता मीराबाई चानू भी उनमें शामिल हैं जिन्होंने लेटर पर साइन किए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द से जल्द शांति और सामान्य स्थिति बहाल नहीं की गई तो वे अपने पुरस्कार और पदक लौटा देंगे। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पद्म पुरस्कार विजेता भारोत्तोलक कुंजारानी देवी, पूर्व भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान बेमबेम देवी और मुक्केबाज एल सरिता देवी शामिल हैं। उन्होंने भी राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को खोलने की मांग की है।

मणिपुर में क्यों भड़की है हिंसा
मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद पहाड़ी जिलों में पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी। अनुसूचित जनजाति (ST) के दर्जे की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने 3 मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था। इसके बाद गत रविवार की हिंसा समेत अन्य हिंसक घटनाएं हुईं। रविवार की हिंसा में 5 लोगों की मौत हुई है। आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे।

गौरतलब है कि मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का करीब 53 प्रतिशत है और समुदाय के अधिकतर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं। नगा और कुकी समुदायों की संख्या कुल आबादी का 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं। भारतीय सेना और असम राइफल्स की लगभग 140 टुकड़ियां पूर्वोत्तर के राज्य में स्थिति सामान्य करने के प्रयास में जुटी हैं। हर टुकड़ी में 10,000 कर्मी होते हैं। इसके अलावा अन्य अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को भी तैनात किया गया है।

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