हिमाचल प्रदेश के चुनावी इतिहास में 5 साल में सत्ता बदलने का प्रचलन रहा है, लेकिन इस बार भाजपा नया इतिहास रचने की तैयारी में है। उसकी इन कोशिशों को मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की कमजोरी से और मजबूती मिलती दिख रही है। 12 नवंबर को सूबे में चुनाव हैं और अब तक उसका प्रचार जोर नहीं पकड़ सका है। इसके अलावा पार्टी में गुटबाजी भी ‘कोढ़ में खाज’ जैसा काम कर रही है। यही नहीं हाईकमान और राज्य नेतृत्व के बीच भी ऑल इज वेल नहीं लग रहा है। पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने खुलेतौर पर कहा था कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हिमाचल प्रदेश में उतना टाइम नहीं दे रहे हैं, जितना देना चाहिए।
राहुल का हिमाचल में प्रचार के लिए टाइम देने से इनकार
चुनाव के ऐलान के ही दिन प्रियंका गांधी शिमला जरूर पहुंचीं, लेकिन ज्यादा वक्त नहीं दिया। कांग्रेस नेताओं की ओर से मांग की गई थी कि राहुल गांधी को भी भारत जोड़ो यात्रा के बीच में समय निकालकर कुछ दिन हिमाचल में देने चाहिए। हालांकि अब खबर है कि राहुल गांधी ने हिमाचल में प्रचार के लिए वक्त देने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस की हालत यह है कि अगले कुछ दिनों में युवा ईकाई के बड़े नेता भी पार्टी छोड़ सकते हैं। इन नेताओं में निगम भंडारी, यदुपति ठाकुर और सुरजीत सिंह भरमौरी शामिल हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे नेता हैं, जिनका कहना है कि कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वे पार्टी छोड़ सकते हैं।
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