बिहार में दो दशक बाद पहली बार गृह विभाग भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास आ गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को मंत्रालयों का बंटवारा करते हुए गृह विभाग अपने उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी को सौंप दिया। इसके बदले जेडीयू को वित्त विभाग और वाणिज्य कर विभाग मिला है, जो पहले बीजेपी के पास थे।
गृह विभाग जैसे अहम मंत्रालय का बीजेपी को दिया जाना एनडीए के भीतर बदलते समीकरणों का संकेत माना जा रहा है। विधानसभा में 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी अब राज्य की कानून-व्यवस्था नीति में प्रमुख भूमिका निभाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव केवल विभागीय आवंटन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है- यह बिहार की कानून-व्यवस्था, राजनीतिक स्थिरता और भविष्य की सत्ता की दौड़ को प्रभावित करने वाला है।
गृह विभाग संभालने को लेकर सम्राट चौधरी ने कहा- मैं नीतीश कुमार द्वारा जमीन पर किए गए कामों को आगे बढ़ाने की कोशिश करूंगा। यह मेरे लिए बड़ी जिम्मेदारी है और मैं सुशासन को और मजबूत करने के लिए काम करूंगा। इस फैसले के बाद पहली बार ऐसा होगा कि बिहार में गृह विभाग सीधे मुख्यमंत्री के हाथ में नहीं, बल्कि सहयोगी दल के नेता के पास रहेगा। हालांकि, नीतीश कुमार सामान्य प्रशासन, विजिलेंस, कैबिनेट सचिवालय, निर्वाचन सहित अपने पुराने अहम विभाग अपने पास ही रखेंगे।
नीतीश कुमार ने 2005 से बिहार की सत्ता संभाली है और उनके पिछले सभी कार्यकालों में गृह विभाग उनके पास ही रहा। यह विभाग राज्य पुलिस, खुफिया तंत्र और कानून-व्यवस्था का केंद्र है। गृह विभाग किसी भी मुख्यमंत्री के लिए ‘क्राउन ज्वेल’ की तरह होता है, क्योंकि इससे राज्य की आंतरिक सुरक्षा और प्रशासनिक नियंत्रण सीधे जुड़ा होता है। अधिकांश राज्यों में मुख्यमंत्री खुद ही गृह विभाग रखते हैं, ताकि कोई भी सहयोगी पार्टी उनकी सत्ता को चुनौती न दे सके। पिछले दो दशकों में चाहे नीतीश का किससे गठबंधन रहा हो, उन्होंने गृह विभाग हमेशा अपने पास रखा।
यहां तक कि जब भले ही 2020 में JD(U) की सीटें घटकर 43 रह गईं तब भी नीतीश ने गृह विभाग नहीं छोड़ा था। जीतन राम मांझी के CM कार्यकाल में भी विभाग सीएम ऑफिस के नियंत्रण में था और नीतीश का प्रभाव बना रहा। महागठबंधन सरकार में भी साथियों की मांग के बावजूद उन्होंने यह विभाग नहीं छोड़ा। अब पहली बार यह विभाग बीजेपी के पास है, जो राज्य की राजनीति में एक अहम बदलाव माना जा रहा है।
सबसे जरूरी वित्त विभाग JD(U) के सीनियर नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव को दिया गया है, जिन्हें कमर्शियल टैक्स का विभाग भी दिया गया है। ये दोनों पिछले टर्म में सम्राट चौधरी के पास थे। बिजेंद्र यादव अपने पिछले डिपार्टमेंट एनर्जी, और प्लानिंग एंड डेवलपमेंट भी अपने पास रखेंगे, साथ ही ड्राई स्टेट के प्रोहिबिशन, एक्साइज और रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट का चार्ज भी अपने पार्टी साथी रत्नेश सदा से लेंगे, जिन्हें हटा दिया गया है।
JD(U) ने एजुकेशन (सुनील कुमार), रूरल डेवलपमेंट (श्रवण कुमार), सोशल वेलफेयर (मदन साहनी), फूड एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन (लेशी सिंह), रूरल वर्क्स (अशोक चौधरी) और माइनॉरिटी वेलफेयर (जमा खान) जैसे जरूरी डिपार्टमेंट में अपने मंत्रियों को फिर से रखा है। इसके अलावा, श्रवण कुमार को ट्रांसपोर्ट दिया गया है, जिसे अब हटा दी गईं JD(U मिनिस्टर शीला मंडल संभाल रही थीं, जबकि साइंस, टेक्नोलॉजी और टेक्निकल एजुकेशन पोर्टफोलियो एजुकेशन मिनिस्टर सुनील कुमार को दिया गया है, क्योंकि JD(U) के पूर्व मिनिस्टर सुमित कुमार सिंह चकाई में RJD से हार गए हैं।
जेडीयू की पूर्व सरकार के दो मंत्री- महेश्वर हजारी और जयंती राज को मंत्रिपरिषद से बाहर किया गया। उनके विभाग, सूचना एवं जनसंपर्क और भवन निर्माण, अब विजय कुमार चौधरी संभालेंगे।
