जब कोई गलत काम करके दो नंबर की कमाई से मंदिर जाके दान-पुण्य करता है तो कई लोग इसे अच्छा मानते हैं। कुछ कहते हैं कि भले ही दो नंबर की कमाई करता है लेकिन दान-पुण्य में पैसा तो लगाता है। ये पैसे अच्छे के लिए ही तो काम आते हैं। ऐसा सोचने वालों को वृंदावन के महान संत प्रेमानंद महाराज का नया प्रवचन सुनकर झटका लग सकता है। जो लोग गलत काम से पैसे कमाके मंदिर बनवाते हैं या भंडारा करवाते हैं, उन्हें प्रेमानंद महाराज की ये बात परेशान कर सकती है। दरअसल हाल ही में प्रेमानंद महाराज से एक शख्स ने पूछा कि गलत तरीके से कमाए गए पैसे से मंदिर बनाना सही होगा या फिर भंडारा करवाना? नीचे पढें कि इस सवाल के जवाब में प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा है?

शख्स के प्रश्न को सुनते ही प्रेमानंद महाराज ने कहा कि तुम उत्तम की बात करते हो? मनमानी आचरण करके भंडारा खिलाओगे और पुजारी बैठा दोगे तो नरक में जाओगे। मनमानी पैसा कमाओगे। मनमानी शब्द है। इसमें धर्म भी आता है। धर्म से धन कमाएंगे। जो दान शब्द है वो है कि धन मेहनत से कमाया। धर्म से कमाया तो 100 रुपये में से 10 रुपये दे सकते हो किसी को। 90 रुपये तुम अपने काम में लाओ। 10 रुपये किसी गरीब को या किसी बीमार को दे सकते हो। तो ऐसा दान बढ़िया रहेगा और ये धर्मयुक्त रहेगा।

प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि जैसे आप 10 लाख रुपये पाप आचरण से कमा रहे हो और एक लाख रुपये संत को दे दिए तो उस संत की बुद्धि भजन में नहीं लगेगी। तो आपका पाप तो बना ही और संत का भजन ना कराने का वो पाप तुम्हारा ना। दोनों तुम्हें नरक की ओर ले जाएंगे। मनमानी आचरण से तो भुलकर भी ये काम करो। जो लोग मनमानी आचरण पाप करके सोचते हैं कि 10-5 लाख रुपये संतों को दे देंगे तो हम पवित्र हो जाएंगे नहीं वो नरक में जाएंगे। संत की भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाएगी और आपको भी नरक में जाना पड़ेगा।

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