बिहार चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत और जन सुराज की करारी हार पर प्रशांत किशोर ने कहा है कि जनता का वोट खरीदा गया। चुनाव के समय महिलाओं के खाते में दस हजार(प्रति दिन साढ़े पांच रुपए) भेजकर जीविका दीदियों को उनके पीछे लगाया गया। नीतीश कुमार खुद ईमानदार हैं पर उनके नाम पर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। वर्ल्ड बैंक से कर्ज का पैसा डायवर्ट करके वोट के लिए जनता के खाते में भेजा गया। यह उन गरीब लोगों के साथ अन्याय है जिनके बच्चों के सपनों को छीन लिया गया। जन सुराज अब रुकने वाला नहीं है

प्रशांत किशोर गुरुवार को चंपारण के भितिहरवा के गांधी आश्रम पहुंचे जहां विधानसभा चुनाव में जन सुराज की हार के बाद प्रायश्चित उपवास और मौन व्रत रखा। शुक्रवार को उपवास खत्म होने के बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 6-7 दिन बहुत कठिनाई में गुजरे। इसका कारण जन सुराज की हार नहीं बल्कि यह सोच है कि बिहार की जनता का वोट साढ़े पांच रुपए प्रति दिन के दर से खरीद लिया गया। लोकतंत्र के साथ यह अन्याय है। जन सुराज की सोच से जुड़े लोगों के लिए यह गांधी आश्रम प्रेरणा का श्रोत रहा है। यहीं से हमने पैदल चलना शुरू किया और जन सुराज लाखों लोगों का परिवार बन गया। आशा जगी कि बिहार में बहुत कुछ बदल सकता है। लेकिन लोकतंत्र की बुनियाद वोट को ही खरीद लिया गया। 75 साल के इतिहास में यह पहली घटना है।

भारत उन चंद देशों में हर किसी को वोट देने का अधिकार शुरू से ही है। सरकार चुनाव से पहले यह योजना निकालती कि जिसके तहत दस हजार रुपए दे दिए गए। उनके पीछे सरकार की व्यवस्था लगी। जीविका की दीदियों को उनके पीछे लगाया गया कि पैसे लेकर कोई बदल ना जाए। किसी और को वोट नहीं दे दे, इसकी निगरानी कड़ाई गई। तब इतना बहुमत मिला। बिहार के चुनाव का परिणाम पूरे देश की व्यवस्था को प्रभावित करेगा। अगर इसे स्वीकार कर लिया जाए तो सत्ता में बैठी पार्टी कभी चुनाव नहीं हारेगी।

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