उत्तर प्रदेश में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने दावा किया है कि उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने के बाद से उनकी बिजली की खपत बढ़ गई है। हालांकि, उनका खर्च कम हो जाना चाहिए क्योंकि स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं को बिजली में दो प्रतिशत की रियायत दी जाती है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कॉरपोरेशन से मांग की है कि वह बीते साल के महीनों में उपभोक्ताओं के कुल खर्च का आंकड़ा जारी करे जब उनके घरों में पोस्टपेड मीटर लगे थे और उन्हीं महीनों में इस साल का आंकड़ा जब उनके यहां प्रीपेड मीटर लग गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 15 अक्तूबर तक 44.37 लाख उपभोक्ताओं के यहां लगे पोस्टपेड मीटरों को स्मार्ट प्रीपेड मीटर से बदला जा चुका है। उपभोक्ताओं की शिकायत है कि इन मीटरों के लगने के बाद उनकी बिजली खपत बढ़ गई है।
उपभोक्ता परिषद ने मांग की है कि जिन उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं उनके सितंबर-अक्तूबर के 2024 और 2025 के बिल का आंकड़ा जारी किया जाए। अगर इसमें इजाफा है तो साफ है कि मीटर सही काम नहीं कर रहे और उनकी जांच राष्ट्रीय लैब से करवाई जाए।
ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन द्वारा मुंबई में आयोजित डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने फ्लॉप घोषित किया है। समिति ने कहा कि मीट का विरोध करने की चेतावनी के चलते केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर उस मीट में नहीं पहुंचे। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि बिजली अभियंताओं ने निजीकरण के मामले में मीट का विरोध करने का ऐलान किया था।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर, विद्युत राज्यमंत्री यशोपद नायक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आयोजन में हिस्सा नहीं लिया। मीट का विरोध करते हुए नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने केंद्रीय विद्युत मंत्री को विरोध पत्र और विरोध प्रदर्शन का नोटिस भेजा था।
लखनऊ में बिजली उपभोक्ताओं के घरों पर लगाए गए स्मार्ट मीटर अब सुविधा की जगह आफत बन गए हैं। जिस तकनीक को बिलिंग में सटीकता और पारदर्शिता लाने के वादे के साथ लागू किया गया था, वह आज उपभोक्ताओं के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। बिजली विभाग की घोर लापरवाही के कारण, उपभोक्ताओं के परिसर पर जाकर मीटर रीडिंग लेने का काम लगभग ठप हो गया है, जिससे बिल बनने की पूरी प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई है।
इस समस्या की दोहरी मार उन उपभोक्ताओं पर पड़ रही है, जिन्होंने अपने परिसर में सोलर पैनल लगवाए हैं। स्मार्ट मीटर लगे होने और सोलर कनेक्शन चालू होने के बावजूद रीडिंग न होने के कारण ‘नेट मीटरिंग’ की महत्वपूर्ण प्रक्रिया रुक गई है। उपभोक्ता यह हिसाब नहीं लगा पा रहे हैं कि उन्होंने ग्रिड को कितनी बिजली वापस दी (पैदा की) और कितनी ग्रिड से इस्तेमाल की (खर्च की)।
लखनऊ सेंट्रल जोन के राजाजीपुरम डिवीजन के अंतर्गत संकटा प्रसाद श्रीवास्तव (खाता सं. 1723122222) के घर पर भी स्मार्ट मीटर लगा हुआ है, लेकिन विभाग ने अभी तक उनके मीटर की रीडिंग शुरू नहीं की है, जिससे बिलिंग अटक गई है। रीडिंग स्टोर होने पर उन्हें चिंता सता रही है।
सरोजनीनगर निवासी राज बाली सिंह (खाता सं.1767781000) के परिसर पर स्मार्ट मीटर लगा है। चार महीने पहले सोलर कनेक्शन लगा था, लेकिन अभी तक मीटर रीडिंग नहीं हुई। पीड़ित उपभोक्ता ने कई बार शिकायत की, पर कुछ नहीं हुआ। उन्हें सोलर कनेक्शन का लाभ नहीं मिला पा रहा है।
लखनऊ में करीब 50 हजार से अधिक सोलर कनेक्शन है, लेकिन शहर में सैकड़ों उपभोक्ताओं की रीडिंग नहीं हो पा रही है। परेशान उपभोक्ता समस्या के समाधान के लिए अधिशासी अभियंता कार्यालय तक के चक्कर काट रहे हैं। वे लगातार अपनी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
निदेशक वाणिज्य योगेश कुमार के अनुसार स्मार्ट मीटर की रीडिंग न होने बड़ी लापरवाही है। जांच कराई जाएगी। दोषी कर्मचारी पर कार्रवाई होगी। उपभोक्ता के यहां रीडिंग करायी जाएगी। जिससे वह जमा कर सकें।
