लखनऊ बीकेटी
गोमती नदी पर दीवाल बनाकर हुए अवैध कब्जे को ध्वस्त कराने और पर्यावरण संरक्षण की लड़ाई लड़ रहे हैं समाजसेवी दीपक शुक्ला तिरंगा महाराज के अधिवक्ता ने नीलांश वाटर पार्क प्रबंधन और नीलांश बिल्डर को जवाबी नोटिस भेज कर 15 दिन में माफी मांगने और उनके खिलाफ की गई सभी टिप्पणियों को हटाने की बात कही है तिरंगा महाराज के विद्वान अधिवक्ता विनीत पांडे ने नोटिस भेजते हुए कहामेरे मुवक्किल श्री दीपक शुक्ला उर्फ तिरंगा महराज, पुत्र श्री राकेश कुमार, निवासी ग्राम- मरपा, माधोपुर, परगना- महोना, तहसील- बख्शी का तालाब, जिला- लखनऊ को आपके मुवक्किल नीलांश बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अधिकृत हस्ताक्षरी रजि० कार्यालय- फ्लैट नंबर-बी, 93एन, ग्राउंड फ्लोर, पिंकी अपार्टमेंट, डालीबाग, लखनऊ की ओर से आपके द्वारा लीगल नोटिस दिनांकित 14.05.2025 भेजा गया है, इस नोटिस के सम्बन्ध में मैं अपने मुवक्किल के निर्देश पर आपको निम्नवत जवाब देता हूँ-

1. यह कि आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि लखनऊ जनपद के ग्रामीण अंचल के क्षेत्र-इटौंजा, मलिहाबाद व बख्शी का तालाब में मेरे मुवक्किल द्वारा विगत कई वर्षों से एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा एवं संरक्षण सम्बन्धी कार्यों, ग्रामीणों व आम जनता की मूलभूत सुविधाओं सड़क, बिजली, परिवहन, शिक्षा आदि के सम्बन्ध में एवं क्षेत्र के किसानों की समस्याओं जैसे सार्वजनिक मुद्दों एवं जनहित के कार्यों के निराकरण हेतु तहसील एवं प्रशासन स्तर के सक्षम अधिकारियों व जन-प्रतिनिधियों के समक्ष विगत कई वर्षों से निःस्वार्थ भाव से बिना किसी भय एवं प्रलोभन के अपनी आवाज उठाकर जनहित के कार्यों के सम्यक निस्तारण/समाधान का प्रयास किया जाता है।

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2. यह कि आपको यह भी अवगत कराया जाना अत्यावश्यक है कि तहसील मलिहाबाद, लखनऊ के अंतर्गत ग्राम-बदैया की भूमि गाटा सं०- 971 रकबा 0.6450, गाटा सं०- 995 रकबा 0.5820 हेक्टेयर, गाटा संख्या-996 रकबा 0.0130 हेक्टेयर, गाटा संख्या-1055 रकबा 0.076 हेक्टेयर, गाटा संख्या 1056 रकबा 0.2020 हेक्टेयर, गाटा संख्या 1081 रकबा 1.1630 हेक्टेयर, गाटा संख्या 1022 रकबा 3.705 हेक्टेयर व ग्राम-टिकरीकलां की भूमि गाटा संख्या-186 रकबा 0.2530 हेक्टेयर, गाटा संख्या-193 रकबा 0.152 हेक्टेयर, गाटा संख्या 243 रकबा 0.0630 हेक्टेयर तथा तहसील-बख्शी का तालाब के अन्तर्गत ग्राम-यकडरियाकलां में खाता संख्या-01848 की भूमि राजस्व अभिलेखों में “गोमती नदी” व “तालाब” के नाम से दर्ज हैं।

3. यह कि आपके मुवक्किल द्वारा तहसील- मलिहाबाद के ग्राम बदैया व टिकरीकला तथा तहसील- बख्शी का तालाब के ग्राम- यकडरियाकला में स्थित गोमती नदी के बिल्कुल किनारे पर “नीलांश थीम वाटर पार्क” विकसित किया गया है तथा गांव- बदैया के एक बड़े क्षेत्र में विभिन्न आवासीय योजना चलाकर रो हाउस, विला और आवासीय भूखंड का बड़े पैमाने पर क्रय-विक्रय किया जा रहा है। आपके मुवक्किल द्वारा उक्त वाटर पार्क की आड़ में गोमती नदी की भूमि पर एक बहुत बड़ी बाउंड्री वाल का निर्माण करके अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है तथा उक्त ग्राम के तालाबों पर अवैध अतिक्रमण करके वाटर पार्क के अन्दर मिलाकर आपके मुवक्किल द्वारा अनुचित तरीके से व्यवसायिक गतिविधियों के माध्यम से लाभ अर्जित किया जा रहा है।

4. यह कि आपके मुवक्किल द्वारा सार्वजानिक उपयोगिता की गोमती नदी की भूमि और तालाबों पर बिना किसी अधिकार के अवैध रूप से किए गए अतिक्रमण के संबंध में मेरे मुवक्किल द्वारा सम्बन्धित दोनों तहसीलों के राजस्व अधिकारियों व जिला स्तर पर उच्चाधिकारियों के समक्ष कई शिकायतें की गई, मेरे मुवक्किल के काफी प्रयास के पश्चात उच्चाधिकारियों के निर्देश पर मौके पर सम्बन्धित उपजिलाधिकारी, तहसीलदार, क्षेत्रीय लेखपाल, राजस्व निरीक्षक आदि राजस्व अधिकारियों द्वारा कई बार जांच पड़ताल भी की गई, जिसमे गोमती नदी की भूमि व तालाबों पर अवैध निर्माण व अतिक्रमण करके आपके मुवक्किल द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा किया जाना पाया गया | आपके मुवक्किल द्वारा गोमती नदी व तालाबों की भूमि पर किये गए अवैध कब्जे/अतिक्रमण के सम्बन्ध में राजस्व अधिकारियों की जाँच आख्यायें आपके अवलोकनार्थ इस जवाब नोटिस के साथ “संलग्नक संख्या-1” के रूप में संलग्न है।

The water level of Gomti river increased in Lucknow | लखनऊ में गोमती नदी का जलस्तर बढ़ा: बीकेटी क्षेत्र के इटौंजा में घरों तक पहुंचा पानी, बाढ़ जैसे हालात - Lucknow News |

5. यह कि गोमती नदी की भूमि/तलहटी और तालाब पर अनधिकृत और अवैध अतिक्रमण के कारण आपके मुवक्किल के विरुद्ध उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के तहत तहसील – मलिहाबाद व बख्शी का तालाब के राजस्व न्यायालयों में कार्यवाही की गई और तहसील आख्याओं के आधार पर इन लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है, जिसमे राजस्व न्यायालयों द्वारा आपके मुवक्किल के विरुद्ध भारी अर्थदण्ड लगाते हुए बेदखली का आदेश भी पारित किया गया है किन्तु बेदखली आदेशों के बावजूद न तो आपके मुवक्किल द्वारा गोमती नदी की भूमि व तालाबों पर किये गए उक्त अवैध एवं अनधिकृत अतिक्रमण/निर्माण को हटाया गया है और न ही आपके मुवक्किल के रसूख व प्रभाव के चलते गोमती नदी व तालाबों की भूमि पर किये गए अवैध निर्माण/अतिक्रमण को सक्षम अधिकारियों द्वारा ध्वस्त करके हटाये जाने की तथा न ही अर्थदण्ड की वसूली के सम्बन्ध में कोई विधिक कार्यवाही हीनिष्पादित की गई है, जिससे आपके मुवक्किल द्वारा गोमती नदी व तालाबों की सार्वजानिक उपयोगिता की भूमि पर किये गए अवैध एवं अनधिकृत निर्माण द्वारा व्यावसायिक लाभ लगातार उठाया जा रहा है | आपके मुवक्किल व अन्य दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध राजस्व न्यायालय द्वारा की गई धारा-67 की कार्यवाही की रिपोर्ट एवं आदेशों की प्रतियां आपके अवलोकनार्थ इस जवाब नोटिस के साथ “संलग्नक संख्या-2” के रूप में संलग्न है।

6. यह कि गोमती नदी व तालाबों की सार्वजनिक उपयोगिता की भूमि पर आपके मुवक्किल द्वारा किये गए अनधिकृत एवं अवैध अतिक्रमण हो हटवाये जाने के सम्बन्ध में मेरे मुवक्किल द्वारा आपके मुवक्किल व उसके निदेशकों को पक्षकार बनाते हुए एक जनहित याचिका माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ खण्डपीठ, लखनऊ के समक्ष योजित की गई, जो कि माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष “पी०आई०एल० संख्या-10/2024 (दीपक शुक्ला उर्फ तिरंगा महराज बनाम उ०प्र० राज्य आदि)” के नाम से दर्ज रजिस्टर है।

7. यह कि उपरोक्त जनहित याचिका में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आदेश दिनांक-05/02/2024 पारित करते हुए श्रीमान उपजिलाधिकारी, तहसील-मलिहाबाद एवं श्रीमान उपजिलाधिकारी, बख्शी का तालाब को यह स्पष्ट निर्देश जारी किया गया कि वे आदेश की तिथि से एक महीने के अन्दर गोमती नदी की उपरोक्त विवादित भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गए अवैध कब्जे के सम्बन्ध में पैमाइश कराकर एक पूर्ण सर्वेक्षण रिपोर्ट माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे । माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त जनहित याचिका में पारित आदेश दिनांक-08/01/2024 एवं आदेश दिनांक- 05/02/2024 की प्रतियां आपके अवलोकनार्थ इस जवाब नोटिस के साथ “संलग्नक संख्या-3” के रूप में संलग्न है।

8. यह कि उपरोक्त जनहित याचिका में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्पष्ट आदेश के अनुक्रम में श्रीमान जिलाधिकारी, लखनऊ के निर्देश पर सम्बन्धित राजस्व अधिकारियों की संयुक्त टीम द्वारा उपरोक्त ग्राम- बदैयाँ, टिकरीकलां व यकडरियाकलां में स्थित गोमती नदी व तालाबों की भूमि की पैमाइश करके जांच-आख्या तैयार की गई, जिसमे यह पाया गया कि ग्राम-बदैयाँ में गोमती नदी व तालाब के नाम दर्ज गाटों की भूमि को बाउंड्रीवाल बनाकर नीलांश वाटर पार्क ग्रुप (आपके मुवक्किल) द्वारा अपने परिसर के अन्दर शामिल करके अवैध कब्जा/अतिक्रमण कर लिया गया है, किन्तु माननीय उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद राजस्व अधिकारियों की संयुक्त टीम द्वारा तैयार की गई जाँच-आख्या को माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका है।

9. यह कि आपके मुवक्किल का एक मात्र मुख्य उद्देश्य गोमती नदी व तालाबों की सार्वजनिक उपयोगिता की भूमि पर अवैध रूप से काबिज रहते हुए उसका व्यवसायीकरण करके लगातारअनुचित धनोपार्जन करने का है, जिसके लिए आपके मुवक्किल द्वारा अपने धनबल, रसूख व प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करके न्यायिक प्रक्रियाओं में भी बाधा उत्पन्न की जाती रही है तथा सक्षम न्यायालयों के बेदखली व अर्थदण्ड के स्पष्ट आदेशों के होने के बावजूद भी आपका मुवक्किल अपने धनबल व बाहुबल के चलते ही निश्चित रूप अभी तक अपने उद्देश्य में सफल रहा है।

10. यह कि आपके मुवक्किल द्वारा अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए किये जा रहे अनैतिक एवं अवैध कृत्यों के सम्बन्ध में जन-मानस के बीच कई समाचार-पत्रों (प्रिन्ट मीडिया) एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा काफी लम्बे समय से खबरें प्रकाशित की जाती रही है, उक्त प्रकाशित ख़बरों में आपके मुवक्किल के विरुद्ध कई संगीन आरोपों को सार्वजनिक भी किया गया है। आपके मुवक्किल के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से समाचार पत्रों में प्रकाशित ख़बरों की प्रतियां आपके अवलोकनार्थ इस जवाब नोटिस के साथ “संलग्नक संख्या-4” के रूप में संलग्न है।

11. यह कि राज्य सरकार के प्रशासनिक उच्चाधिकारियों के निर्देश पर सम्बन्धित तहसील के राजस्व अधिकारियों श्रीमान उपजिलाधिकारी, तहसीलदार, क्षेत्रीय लेखपाल, राजस्व निरीक्षक आदि ने सम्बन्धित प्रकरणों में आपके मुवक्किल द्वारा किये गए अनैतिक एवं अवैध कृत्यों के सम्बन्ध में कई बार रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, जो कि लोक सेवकों द्वारा तैयार किये गए सार्वजनिक अभिलेख हैं, तथा उक्त रिपोटों के आधार पर ही आपके मुवक्किल के विरुद्ध न्यायालयों में मुकदमा भी चलाया गया, जिसमे दोष सिद्ध होने पर आपके मुवक्किल के विरुद्ध बेदखली व भारी अर्थदण्ड का आदेश भी पारित किया जा चुका है।

12. यह कि गोमती नदी व तालाब की सार्वजनिक उपयोगिता की भूमि पर आपके मुवक्किल द्वारा दीवाल बनाकर अवैध कब्जे करके लगातार काफी लम्बे समय से व्यावसायिक उपयोग करके अनुचित लाभ प्राप्त किया जा रहा है, जिसके सम्बन्ध में मेरे मुवक्किल द्वारा शासन-प्रशासन स्तर पर कई बार सक्षम उच्चाधिकारियों के समक्ष आपके मुवक्किल के विरुद्ध लगातार शिकायती-पत्र दिए गए, काफी लम्बे समय तक धरना-प्रदर्शन किया गया, किन्तु आपके मुवक्किल के धनबल व बाहुबल के चलते प्रकरण में जब कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई, जिससे व्यथित होकर मेरे मुवक्किल द्वारा आपके मुवक्किल व अन्य दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उपरोक्त जनहित याचिका योजित की गई, जो कि माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।

13. यह कि गोमती नदी व तालाब की भूमि पर आपके मुवक्किल द्वारा किये गए अवैध कब्जे/अतिक्रमण को हटवाये जाने के सम्बन्ध में मेरे मुवक्किल द्वारा काफी लम्बे समय से कार्यवाही की जा रही है, जिसके कारण आपके मुवक्किल, उसके निदेशक व अन्य सहयोगीगणमेरे मुवक्किल से रंजिश व दुश्मनी रखते है तथा मेरे मुवक्किल को उपरोक्त मुद्दे से पीछे हटने के लिए उसे व उसके पारिवारिक सदस्यों को जान से मारने की धमकी देकर डराया धमकाया जाता है, जिसके सम्बन्ध में भी मेरे मुवक्किल द्वारा पूर्व में सक्षम अधिकारियों के समक्ष शिकायत की जा चुकी है।

14. यह कि आपके मुवक्किल द्वारा आपके माध्यम से लीगल नोटिस देकर मेरे मुवक्किल पर गिरोह बनाकर धन उगाही का झूठा व बेबुनियाद आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर मेरे मुवक्किल द्वारा अपमानजनक शब्दों, फोटो व वीडियो का प्रयोग करके आपके मुवक्किल की छवि समाज में धूमिल किये जाने का झूठा आरोप लगाया गया है, जबकि वास्तविकता में आपके मुवक्किल व उसके निदेशकों और सहयोगियों द्वारा मेरे मुवक्किल के फेसबुक एकाउंट पर भद्दे-भद्दे कमेन्ट करके एवं अपने स्वयं के फेसबुक एकाउंट से झूठे, फरेबयुक्त व निराधार आरोप लगाकर एवं मेरे मुवक्किल के रंग, रूप व उसके चरित्र पर अपमानजनक टिप्पणियाँ करके मेरे मुवक्किल व उसके पारिवारिक सदस्यों की सामाजिक छवि व प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया गया है, आपके मुवक्किल व उसके निदेशकों व सहयोगियों द्वारा उक्त कृत्य से निश्चित रूप से मेरे मुवक्किल की छवि व प्रतिष्ठा को समाज में धूमिल करके मेरे मुवक्किल की मानहानि की गई है, जिसके लिए आपका मुवक्किल व उसके निदेशक व सहयोगीगण प्रथम दृष्टया दोषी है। आपके मुवक्किल व उसके निदेशकों एवं सहयोगियों द्वारा मेरे मुवक्किल के फेसबुक एकाउंट पर मेरे मुवक्किल के विरुद्ध किये गए कमेन्ट व अटैच किये गए प्रपत्र की प्रतियाँ आपके अवलोकनार्थ इस जवाब नोटिस के साथ “संलग्नक संख्या-5” के रूप में संलग्न है।

15. यह कि गोमती नदी व तालाबों की सार्वजनिक उपयोगिता की भूमि को पूर्णतयः कब्ज़ा-मुक्त कराये जाने की मुहीम व आन्दोलन मेरे मुवक्किल द्वारा विगत कई वर्षों से बिना किसी भय व प्रलोभन के लगातार चलाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप तहसील-स्तर पर कुछ सक्षम अधिकारियों द्वारा गोमती नदी व तालाबों की सार्वजनिक उपयोगिता की भूमि पर अवैध कब्जा व अतिक्रमण को लेकर आपके मुवक्किल के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाहियाँ की गई तथा आपके मुवक्किल के विरुद्ध बेदखली व अर्थदण्ड का आदेश भी पारित किया गया, किन्तु इन सबके बावजूद आपका मुवक्किल अपने धनबल व रसूख के चलते शासन-प्रशासन स्तर पर अवैध कब्ज़ा/अतिक्रमण हटाने की प्रभावी कार्यवाही से हमेशा बचता रहा।

16. यह कि मेरे मुवक्किल द्वारा गोमती नदी व तालाबों की भूमि को कब्ज़ा-मुक्त कराये जाने की चलाई गई मुहीम से पीछे हटने को लेकर आपके मुवक्किल व उसके निदेशकों की ओर से कई बार बड़े-बड़े प्रलोभन मेरे मुवक्किल को दिए गए, जिसे मेरे मुवक्किल द्वारा कभी भी स्वीकार नहीं किया गया बल्कि वह अपनी मुहीम एवं आंदोलन को लेकर दृढ़ता व विश्वास के साथ हमेशा आगे बढ़ता रहा, जिस पर कई बार आपके मुवक्किल, उसके निदेशकों व अन्यसहयोगियों द्वारा मेरे मुवक्किल को बर्बाद कर देने व जान से मार डालने की धमकियां भी दी जाती रही लेकिन मेरा मुवक्किल उन धमकियों से भयभीत होकर न तो कभी भी विचलित हुआ और न ही अपनी मुहीम व लक्ष्य से पीछे हटा और मेरा मुवक्किल “सत्यमेव जयते” की सूक्ति को मानते हुए यह दृढ-विश्वास रखता है कि सत्य की विजय अवश्य होगी, सत्य को कभी भी कोई पराजित नहीं कर सकता है।

17.

यह कि मेरे मुवक्किल ने गोमती नदी व तालाबों की भूमि को कब्ज़ा-मुक्त कराये जाने के जनहितकारी उद्देश्य को लेकर ही माननीय उच्च न्यायालय में आपके मुवक्किल के विरुद्ध उपरोक्त जनहित याचिका भी योजित की गई, जो कि माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। अभी तक आपका मुवक्किल अपने धनबल व रसूख के चलते शासन-प्रशासन स्तर पर प्रभावी कार्यवाही से बचता रहा है किन्तु अब आपके मुवक्किल को इस बात का पूर्ण विश्वास एवं अंदाजा हो गया है कि माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष मेरे मुवक्किल की लम्बित जनहित याचिका के अनुक्रम में उन्हें निश्चित ही गोमती नदी व तालाबों की भूमि पर किये गए अवैध कब्जा व अतिक्रमण को हटाना होगा या प्रशासन द्वारा इसे ध्वस्त किया जाएगा, ऐसी स्थिति में आपके मुवक्किल को सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जे व अन्य क्रियाकलापों के व्यवसायिक उपयोग से होने वाली भारी भरकम कमाई पूर्णतयः बंद हो जायेगी, इसी द्वेषपूर्ण मंशा को लेकर आपके मुवक्किल द्वारा झूठे, घिनौने व बेबुनियाद आरोप लगाकर व दुष्प्रचार करके मेरे मुवक्किल की समाज-सेवी छवि को बिगाड़ने व उसे बदनाम करने का असफल प्रयास किया जा रहा है ताकि आपका मुवक्किल मेरे मुवक्किल के विरुद्ध ऐसे झूठे, घिनौने व बेबुनियाद आरोपों को आधार बनाकर माननीय न्यायालय में जनहित याचिका को निरस्त करा सके और माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष भी याचिका में किसी प्रभावी कार्यवाही से अपने आप को बचा सके ।

18. यह कि आपके मुवक्किल द्वारा सोची-समझी रणनीति के तहत सुनियोजित षडयंत्र बनाकर मेरे मुवक्किल के विरुद्ध दुष्प्रचार करके उसके ऊपर गिरोह बनाकर धन उगाही करने का झूठा, घिनौना व बेबुनियाद आरोप लगाया गया है, ताकि आम जन-मानस में मेरे मुवक्किल की ईमानदार समाज-सेवी, गरीब-शोषितों के हक की लड़ाई लड़ने वाला, कर्मठ व सत्यनिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता की छवि को बिगाड़कर उसकी आवाज को हमेशा के लिए दबा दिया जाए।

19. यह कि आपके मुवक्किल, उसके निदेशकों व सहयोगियों द्वारा अपने सोशल मीडिया एकाउंट से मेरे मुवक्किल के सोशल मीडिया एकाउंट पर एवं प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रानिक मीडिया में पूर्णतयः झूठे, अनर्गल व बेबुनियाद आरोप लगाकर मेरे मुवक्किल के रंग, रूप, चरित्र एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि आदि के सम्बन्ध में जो अपमानजनक टिप्पणियाँ व पोस्ट किये गए है, उससेपूर्णतयः यह स्पष्ट हो गया है कि मेरे मुवक्किल व उनके पारिवारिक सदस्यों की आपके मुवक्किल व उसके निदेशकों द्वारा जासूसी व रेकी करके जान-माल व जीवन- भय बनाकर असुरक्षा की भावना पैदा करने का प्रयास किया गया है।

20.

यह कि आपके मुवक्किल द्वारा आपको उपरोक्त तथ्यों से अवगत कराये बगैर आपके माध्यम से गलत तथ्यों एवं आधारों पर उपरोक्त लीगल नोटिस मेरे मुवक्किल को प्रेषित की गई है, जो कि निश्चित रूप से कानूनी प्रक्रिया का बेजा इस्तेमाल है, इसलिए आपके माध्यम से आपके मुवक्किल द्वारा प्रेषित नोटिस तत्काल वापस लिए जाने योग्य है।

अतः इस प्रकार आप द्वारा प्रेषित नोटिस के सन्दर्भ में इस जवाब-नोटिस के माध्यम से, मेरे मुवक्किल द्वारा आपके मुवक्किल को नोटिस को वापस लेने का निर्देश दिया जाता है तथा इस जवाब नोटिस के माध्यम से आपके मुवक्किल व उसके निदेशकों एवं सहयोगियों को यह निर्देशित किया जाता है कि वे इस जवाब नोटिस प्राप्ति के 15 दिवस के भीतर मेरे मुवक्किल के विरुद्ध उसके रंग, रूप व उसके चरित्र व उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के सम्बन्ध में की गई अपमानजनक टिप्पणियों व पोस्टों को तत्काल फेसबुक एकाउंट से हटा ले तथा मेरे मुवक्किल से तत्काल सार्वजनिक रूप से माफी मांगकर सोशल मीडिया पर प्रकाशित करें अन्यथा की स्थिति में मेरे मुवक्किल द्वारा आपके मुवक्किल व उसके निदेशकों एवं सहयोगियों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी, जिसके हर्जे खर्चे आदि की सम्पूर्ण जिम्मेदारी आपके मुवक्किल की होगी।
लखनऊ

भवदीय
(विनीत कुमार पाण्डेय एडवोकेट)
पता- चैम्बर नं०-बी-512, बी ब्लाक, चतुर्थ तल, न्यू हाईकोर्ट बिल्डिंग, विभूति खण्ड, लखनऊ मो०नं०

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