लोक आस्था का महापर्व छठ शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। रविवार को खरना है। चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन व्रतियों ने गंगा सहित प्रमुख नदियों में स्नान और भगवान भास्कर की पूजा की। व्रतियों ने स्नान के बाद कद्दू, अरवा चावल, चना दाल, आंवले की चटनी आदि से बना प्रसाद ग्रहण किया। साथ ही चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प लिया। रविवार को खरना के लिए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी के जलावन से अरवा चावल व गुड़ से बनी खीर, रोटी आदि का प्रसाद तैयार करेंगे।

ज्योतिषाचार्य पीके युग के अनुसार खरना प्रसाद सूर्यास्त के बाद ग्रहण करने का विधान है। बिहार में सूर्यास्त शाम 5.11 बजे के बाद हो रहा है। खरना प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती भगवान भास्कर के 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करेंगे।

 छठ पर्व में खरना का दिन बेहद खास माना जाता है क्योंकि इसी दिन से कड़े नियमों वाला निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। व्रती पूरे दिन मन, विचार और शरीर को पवित्र रखने का संकल्प लेते हैं, और शाम को पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस प्रसाद को परिवार और आस-पड़ोस के लोगों के साथ बांटना शुभ माना जाता है।
इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है- दूध, चावल और गुड़ का मिश्रण।इसके साथ गेहूं के आटे की रोटी या पूरी भी रहती है। केला भी प्रसाद में जरूर शामिल किया जाता है। पहले प्रसाद सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित किया जाता है, फिर व्रती इसे ग्रहण करते हैं और यहीं से निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

प्रात: स्नान कर निर्जला व्रत का संकल्प लें।

साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

सूर्यास्त के समय प्रसाद तैयार करें।

सूर्य देव और छठी मैया की विधि-विधान से पूजा करें।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *