योगी सरकार प्रदेश की व्यवस्था में एक बदलाव करने जा रही है। इस बदलाव के लिए डीएम से एक अधिकार छिन जाएगा। अफसरों की मीटिंग में इसको लेकर पूरी तरह से सहमति भी बन गई है। दरअसल प्रदेश में निवेशकों को भूखंड पर मिलने वाली छूट देने का अधिकार अभी तक डीएम के पास था। अब इस व्यवस्था में योगी सरकार बदलाव करने जा रही है। इसके बाद डीएम से औद्योगिक पार्कों में स्थित भूखंडों पर छूट देने का अधिकार छिन जाएगा। इसे बदल कर उपायुक्त उद्योग को देने की है। इस संबंध में जल्द ही दिशा-निर्देश जारी करने की तैयारी है।
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में औद्योगिक पार्कों में भूखंड के आवंटन को लेकर आने वाली दिक्कतों पर चर्चा हुई थी। इसमें स्थित भूखंडों के आवंटन पर छूट प्रदान करने के लिए साक्षी के रूप में डीएम या फिर उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किए जाने की व्यवस्था है। इसी तरह स्टांप ड्यूटी में छूट प्राप्त करने की प्रक्रिया में साक्षी के रूप में डीएम के हस्ताक्षर से छूट देने की व्यवस्था है। डीएम को समय न मिल पाने की वजह से उद्यमियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसीलिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में सहमति बनी है कि अधिकांश निवेश आधारित नीतियों की भांति उपायुक्त उद्योग को इसके लिए भी अधिकृत कर दिया जाए। स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा इस पर सहमति जताई गई है। कैबिनेट से इस प्रस्ताव की मंजूरी ली जाएगी। इसके साथ ही स्टांप शुल्क की देयता के लिए संपूर्ण औद्योगिक स्थान को इकाई माना जाएगा। औद्योगिक पार्क को विकसित करने के बाद डीएम द्वारा भूखंडों का मूल्यांकन करके न्यूनतम दर निर्धारित की जाएगी।
इस दर को निर्धारित करने के पहले डीएम सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करेंगे। इसकी गणना सिद्धांत औद्योगिक स्थान विकसित करने वाले निवेशकर्ता और उसके द्वारा पहली बार विक्रय किए गए भूखंडों पर ही लागू होगा। शासन द्वारा स्वीकृत औद्योगिक पार्क तिथि से निजी निवेशकर्ता द्वारा तीन साल तक जिन उद्यमियों को भूखंड बेंचेगा उस पर यह सिद्धांत लागू होगा।
