कानपुर के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह से विवाद के बाद गुरुवार को सीएमओ डॉ हरिदत्त नेमी को निलंबित कर दिया गया। निलंबन के तत्काल बाद सीएमओ ने डीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। डीएम पर आरोपों की बौछार और तेज कर दी। निलंबन के बाद मीडिया के सामने आए डॉ. नेमी ने कहा कि डीएम मुझसे वसूली कराना चाहते थे। ऐसा न करने पर उनको मानसिक व शारीरिक रूप से परेशान किया। बार-बार कहते कि तुम मंदबुद्धि दलित हो तुमको कमाना नहीं आता है। एक बार कई विभागों की मीटिंग में सभी के सामने मेरी गर्दन को पीछे से झटका भी दिया। इसके साथ ही मेरे पर्सनल पार्ट में मिर्च भरने की धमकी बार-बार देते। नेमी ने यही सब आरोप सीएम योगी को भी पत्र के जरिए लिखकर दो दिन पहले भेजा था। नेमी ने यह भी कहा कि शासन ने नहीं सुना तो वह कोर्ट भी जाएंगे।

नेमी ने आरोप लगाया कि 20 साल से यहां तैनात एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश यादव नर्सिंग होम व भंडार के नोडल अफसर थे। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार में लिप्त व पार्टी विशेष के लिए कार्य करने की शिकायत मिल रही थी। 16 दिसंबर को आने के बाद डॉ सुबोध को यहां से हटाकर जिला क्षय अधिकारी बना दिया। डॉ सुबोध के तबादले से डीएम बौखला गए थे। उन्होंने तबादला आदेश निरस्त करने का दबाव बनाया। शिकायतों का हवाला देकर तबादला निरस्त करने से मना कर दिया तो वह आग बबूला हो गए। इसके बाद वह लगातार मुझे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगे। डीएम ने सीबीआई से चार्जशीटेट फर्म जेएम फार्मा को 30 लाख के गोलमाल को दरकिनार कर उसके एक करोड़ 60 लाख 47 हजार रुपये के भुगतान को स्वीकृत करने का भी दबाव बनाया।

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