जिले के शहद की मिठास अमेरिका, जर्मन व दुबई समेत कई देशों में पहुंच रही है। जानी खुर्द ब्लॉक क्षेत्र के अघेड़ा निवासी 25 वर्षीय प्रगतिशील किसान भारत चौधरी मधुमक्खी पालन व शहद उत्पादन का शानदार कार्य कर रहे हैं। 

वह अजवायन, यूकेलिप्टिस, मल्टीफ्लोरा व सरसों का शहद तैयार करते हैं। नवंबर से शुरू हुए चालू सत्र में उन्होंने मार्च 2025 तक लगभग 70 टन शहद का उत्पादन किया है। वह इसे व्यापारियों के माध्यम से अमेरिका, जर्मन व दुबई निर्यात कर रहे हैं। उनका सालाना टर्न ओवर 1.79 करोड़ है। 

सिर्फ हाईस्कूल पास हैं भारत चौधरी

भारत चौधरी केवल हाईस्कूल उत्तीर्ण हैं। पढ़ाई में मन न लगने के कारण उन्होंने कृषि से संबंधित मधुमक्खी पालन व शहद उत्पादन करने का निर्णय लिया। उन्होंने आसपास के क्षेत्र में जानकारी करते हुए मुरादनगर में सात दिवसीय प्रशिक्षण लिया। वह एक हजार से 3600 रुपये प्रति किलो तक ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों तरह से शहद बेचते हैं।

उन्होंने 15 युवाओं का समूह बनाया है, जिसमें वह रेनट्रोव नैचुरल्स के नाम से शहद बेच रहे हैं। भारत कहते हैं कि वर्तमान में उनके पास सर्वाधिक मांग सरसों के शहद की रहती है। सरसों के शहद में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी व एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। 

यह गुण शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता प्रदान करते हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, पाचन को सुधारने व हृदय स्वास्थ्य को ठीक करने में भी सहायक हैं। नवंबर से शुरू हुए सत्र में अप्रैल तक लगभग 70 टन शहद उत्पादन हो जाएगा।

दो डिब्बे से हुई थी शुरुआत

भारत चौधरी ने शहद उत्पादन की शुरुआत दो बॉक्स के साथ की थी। इससे पहले उन्होंने मुरादनगर के पास मिलक अरावली गांव में पहले से शहद का काम कर रहे देवेंद्र से मुलाकात की और सात दिवसीय प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद उन्होंने शहद उत्पादन शुरू कर दिया। वर्तमान में उनके पास 3500 बॉक्स हैं, जिसमें वह शहद उत्पादन कर बाजार व निर्यातकों को भेज रहे हैं। 

प्रोसेसिंग व पैकेजिंग की तैयारी

भारत चौधरी अपने गांव अघेड़ा में शहद प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित कर रहे हैं। जिसमें वह पैकेजिंग व बोटलिंग का कार्य भी करेंगे। इसके लिए उन्होंने उद्यान विभाग से भी सहायता ली है। उनका कहना है कि वह अपने उत्पादन को बढ़ाते हुए अधिक से अधिक युवाओं को इस कार्य में लाना चाहते हैं। युवाओं को वह निश्शुल्क प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। 

जिला उद्यान अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि शहद उत्पादन करने वाले किसानों को उद्यान विभाग से प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर शासन द्वारा कुल लागत का 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। शहद उत्पादन की खास बात यह है कि बिना खेती वाले किसान भी कर सकते हैं। इसके लिए बड़े रकबे की कृषि भूमि होना जरूरी नहीं है।

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