याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने न्यायालय में तर्क प्रस्तुत किया कि यह सड़क चौड़ीकरण प्रस्ताव एलीफेंट कॉरिडोर के मध्य स्थित है, जहां पहले हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद शिवालिक एलीफेंट रिजर्व को संरक्षित किया गया था। वहीं सरकार की ओर से अदालत में यह दावा किया गया कि हाथियों की आवाजाही को सुनिश्चित किया जा रहा है।

न्यायालय ने सुनवाई के बाद पेड़ों के कटान पर रोक लगाते सरकार से सभी आवश्यक अनुमतियों को कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा है। साथ ही, याचिकाकर्ता को यह भी निर्देश दिया कि वह गूगल इमेज के जरिए यह स्पष्ट करें कि कॉरिडोर सड़क के कौन से हिस्से से गुजरता है। कोर्ट ने कहा, ‘यदि कॉरिडोर से कोई सड़क गुजरती है, तो सरकार के वकील, उन्हें फ्लाईओवर बनाने की सलाह दें, क्योंकि इसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता है।’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, नेगी ने कहा कि शिवालिक एलिफेंट रिजर्व अधिसूचित है और इसके अंदर भानियावाला-ऋषिकेश खंड है, जहां सरकार ने 3,300 पेड़ों को काटने का प्रस्ताव दिया है। नेगी ने कहा, ‘इससे पहले, सरकार रिजर्व में देहरादून हवाई अड्डे का विस्तार करना चाहती थी, लेकिन इस अदालत ने हस्तक्षेप किया और विस्तार पर रोक लगा दी क्योंकि भारत सरकार ने याचिकाकर्ता का समर्थन किया था और अपने हलफनामे में कहा था कि यह हाथियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है।’

उन्होंने कहा कि सड़क चौड़ीकरण परियोजना रिजर्व में आठवें, नौवें और दसवें कॉरिडोर को प्रभावित करेगी। नेगी ने कहा कि यह परियोजना तीन वन रेंजों – मोतीचूर, बड़कोट और ऋषिकेश में आती है। बड़कोट और ऋषिकेश के कुछ हिस्से एलिफेंट कॉरिडोर के रूप में अधिसूचित हैं। जब चीफ जस्टिस ने पूछा कि परियोजना किस चरण में है, तो याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि राज्य ने काटे जाने वाले पेड़ों को चिह्नित कर लिया है। इसपर पीठ ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक कोई भी पेड़ नहीं काटा जाना चाहिए।

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