- महाशिवरात्रि का पावन पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व पर विशेष रूप से जिस समय त्रयोदशी और चतुर्दशी का मेल होता है अर्थात त्रयोदशी समाप्त होकर चतुर्दशी शुरू होती है वही समय महाशिवरात्रि का विशेष पुण्यकाल होता है।
महाशिवरात्रि का पावन पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व पर विशेष रूप से जिस समय त्रयोदशी और चतुर्दशी का मेल होता है अर्थात त्रयोदशी समाप्त होकर चतुर्दशी शुरू होती है वही समय महाशिवरात्रि का विशेष पुण्यकाल होता है। इस काल में भगवान शिव के निमित्त विशेष पूजा, अर्चना, जाप अनुष्ठान रुद्राभिषेक आदि किया जाता है, इस बार 26 फरवरी महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।
26 फरवरी को उदयकालीन तिथि के समय त्रयोदशी रहेगी, लेकिन सुबह 11:08 बजे त्रयोदशी समाप्त होकर चतुर्दशी आरंभ हो जाएगी। पूरे दिन और मध्यरात्रि तक चतुर्दशी ही व्याप्त रहेगी। 26 फरवरी बुधवार को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। 26 फरवरी को प्रातः काल से ही भगवान शिव का अभिषेक शुरू हो जाएगा। 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन सुबह 11:08 बजे त्रयोदशी और चतुर्दशी का मेल होगा और इस समय शिवरात्रि का पुण्यकाल शुरू होता है। विशेष रूप से सुबह 11:08 मिनट के बाद भगवान शिव का जलाभिषेक अवश्य करें। जो भक्त कांवड़ लेकर आते हैं उन्हें भी सुबह 11:08 बजे भगवान शिव का अभिषेक पूजन आवश्यक करना चाहिए।
पूजा के शुभ मुहूर्त-
व्रत का विशेष महत्व 26 फरवरी को ही रहेगा। 26 फरवरी को शाम छह बजकर 19 बजे से लेकर रात नौ बजकर 26 मिनट तक पूजन का पहला समय है। दूसरा पहर का पूजन समय 26 फरवरी को रात 9:26 बजे से 27 फरवरी को अर्धरात्रि 12: 34 बजे तक, तीसरे पहर में 27 फरवरी को अर्धरात्रि से शुरू होकर सुबह 3:41 बजे तक और चौथे पहर में पूजन का समय 27 फरवरी को सुबह 6.48 बजे तक है।