रविदास जयंती पर बुधवार को यूपी में सार्वजनिक अवकाश घोषित हो गया है। योगी सरकार ने बुधवार को इस बाबत शासनादेश जारी कर दिया। इसके अनुसार पहले रविदास जयंती पर निर्बंधित अवकाश घोषित था। अब इसे सार्वजनिक अवकाश में बदल दिया गया है। नए आदेश के बाद अ्ब स्कूल-कॉलेज और सभी सरकारी कार्यालय भी बंद रहेंगे। योगी सरकार ने पिछले साल 17 दिसंबर को ही जारी अवकाश की सूची में रविदास जयंती की छुट्टी दी थी। हालांकि उस समय इसे निर्बंधित छुट्टियों की सूची में डाला गया था। इसके अनुसार हर कर्मचारी को सभी निर्बंधित छुट्टियों में से किन्हीं दो को लेने की छूट होती है। अब सार्वजनिक अवकाश घोषित होने से होली-दिवाली की तरह छुट्टी हो गई है।

संत रविदास का जन्म माघी पूर्णिमा के अवसर पर यूपी के ही वाराणसी में हुआ था। हर साल यहां पर बहुत बड़ा उत्सव भी मनााया जाता है। संत रविदास को संत शिरोमणि संत गुरु की उपाधि दी गई है। इन्होंने रविदासीया पंथ की स्थापना की और इनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं। इन्होंने जात पात का घोर विरोध किया और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। कहा जाता है कि रविदास ने साधु-सन्तों की संगति से ज्ञान प्राप्त किया था। कई लोगों का मानना है कि संत रविदास जी का कोई गुरु नहीं था।

रविदास जयंती पर बुधवार को यूपी में सार्वजनिक अवकाश घोषित हो गया है। योगी सरकार ने बुधवार को इस बाबत शासनादेश जारी कर दिया। इसके अनुसार पहले रविदास जयंती पर निर्बंधित अवकाश घोषित था। अब इसे सार्वजनिक अवकाश में बदल दिया गया है। नए आदेश के बाद अ्ब स्कूल-कॉलेज और सभी सरकारी कार्यालय भी बंद रहेंगे। योगी सरकार ने पिछले साल 17 दिसंबर को ही जारी अवकाश की सूची में रविदास जयंती की छुट्टी दी थी। हालांकि उस समय इसे निर्बंधित छुट्टियों की सूची में डाला गया था। इसके अनुसार हर कर्मचारी को सभी निर्बंधित छुट्टियों में से किन्हीं दो को लेने की छूट होती है। अब सार्वजनिक अवकाश घोषित होने से होली-दिवाली की तरह छुट्टी हो गई है।

संत रविदास का जन्म माघी पूर्णिमा के अवसर पर यूपी के ही वाराणसी में हुआ था। हर साल यहां पर बहुत बड़ा उत्सव भी मनााया जाता है। संत रविदास को संत शिरोमणि संत गुरु की उपाधि दी गई है। इन्होंने रविदासीया पंथ की स्थापना की और इनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं। इन्होंने जात पात का घोर विरोध किया और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया। कहा जाता है कि रविदास ने साधु-सन्तों की संगति से ज्ञान प्राप्त किया था। कई लोगों का मानना है कि संत रविदास जी का कोई गुरु नहीं था।|#+|

संत रविदास ने लोगों को कुरीतियों और अज्ञानता के साथ ही धार्मिक अंधविश्वास व आडंबरों से दूर रहने का संदेश दिया। गंगा किनारे जन्म लेने वाले संत रविदास की एक उक्ति खूब प्रचलित है। वह कहते थे, मन चंगा तो कठौती में गंगा। इसका अर्थ है कि अगर मन पवित्र है तो गंगा में भी स्नान की आवश्यकता नहीं है।

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