यूपी के पीलीभीत में एनकांउटर में मारे गए आतंकवादी खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) के बताए जा रहे हैं। मारे जाने से पहले खालिस्तानी आतंकवादियों ने पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग की। उनके इरादे खतरनाक थे। उनके पास से दो एके-47 गन, दो ग्लॉक पिस्टल और 100 के करीब कारतूस मिलने से यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं ये तीनों कुछ और प्लान लेकर तो यूपी नहीं आए थे? या फिर पंजाब के गुरुदासपुर में पुलिस चौकी पर हमले के बाद पुलिस के पीछे लगने के चलते ही ये राज्य की सीमा पार कर छिपने के लिए यूपी आ गए थे। मारे गए तीनों आतंकियों की उम्र 18 से लेकर 25 वर्ष के बीच थी। उन पर पंजाब के गुरुदासपुर में पुलिस चौकी पर ग्रेनेड और बम फेंकने का आरोप था। एनकांउटर के बाद पूरे पीलीभीत में अलर्ट जारी किया गया है।
गुरुदासपुर के सरहदी कस्बे के कलानौर थाने की चौकी बक्शीवाल पर 18 दिसम्बर को यह ग्रेनेड अटैक हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले की जिम्मेदारी खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर ली थी। पुलिस चौकी पर हमले के बाद गुरुदासपुर में पंजाब पुलिस ने एक ऑटो को कब्जे में लिया था। बताया गया कि उस ऑटो की मदद से ही आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका था। तीनों आतंकियों का सुराग लगने के बाद से पंजाब पुलिस उनके पीछे पड़ी थी। सीसीटीवी और टोल आदि से 23 वर्षीय वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि पुत्र रंजीत सिंह उर्फ जीता, 25 वर्षीय गुरविंदर सिंह पुत्र गुरुदेव सिंह और 18 वर्षीय जसन प्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह का पीछा करते-करते पंजाब पुलिस यूपी आ गई थी। तीनों पंजाब के गुरदासपुर के थाना कल्लौर क्षेत्र के रहने वाले थे। यहां पीलीभीत में पंजाब पुलिस ने लोकल पुलिस से संपर्क साधा। तीनों कितने खतरनाक थे यह इस बात से भी समझा जा सकता है कि पीलीभीत में घेराबंदी किए जाने और आतमसमर्पण के लिए ललकारे जाने के बाद भी उन्होंने हथियार नहीं डाले। बल्कि इसके जवाब में ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की गाड़ी पर गोलियों के निशान इसकी पुष्टि कर रहे हैं।
