एटीएम में डेबिट कार्ड लगाने के बाद एक व्यक्ति के खाते से पांच हजार रुपये निकल गए। बैंक में शिकायत दर्ज कराने के बाद एक अनजान नंबर से उनके पास वाट्सऐप कॉल पहुंचीं।
कॉल करने वाले ने खुद को बैंक अधिकारी बताते हुए रुपये वापस करने के लिए एक ऐप डाउनलोड कराया। ऐप पर क्लिक करते ही खाते से 49 हजार 501 रुपये कट गए। बुधवार को इस प्रकरण में शिकायत दर्ज कराई गई।
यह है पूरा मामला
साइबर ठग लोगों की कमाई हड़पने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। बंडा क्षेत्र के उदयपुर खखरा गांव निवासी राजीव कुमार भी साइबर ठग के हथकंडे में फंस गए। उन्होंने बताया कि बैंक ऑफ बड़ौदा में उनका खाता है। पांच नवंबर को मोहद्दीनपुर चौराहे के पास पीएसबी के एटीएम पर पांच हजार रुपये निकालने गए थे।

मशीन में डेबिट कार्ड लगाने के बाद रुपये नहीं निकले, लेकिन मोबाइल पर रुपये कटने का संदेश आ गया। अगले दिन उन्होंने बैंक में शिकायत दर्ज कराई थी। आठ नवंबर को राजीव के पास एक वाट्सऐप कॉल पहुंचीं। 

कॉल करने वाले ने खुद को बैंक का अधिकारी बताया था। जो पांच हजार रुपये कट गए थे, उन्हें वापस करने का झांसा देकर राजीव से बैंक ऑफ बड़ौदा वर्ल्ड ऐप डाउनलोड कराया। 

डेबिट कार्ड के बारे में जानकारी भी ले ली। इसके बाद खाते से 49 हजार 501 रुपये कट गए। राजीव ने बैंक व साइबर हेल्पलाइन नंबर पर उसी दिन शिकायत भी दर्ज करा दी थी, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। बुधवार को उन्होंने बंडा थाने में तहरीर दी। एएसपी ग्रामीण मनोज अवस्थी ने बताया कि प्राथमिकी पंजीकृत कराकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

साइबर ठगी से बचाव के लिए सलाह

  • अंजान नंबर से वाट्सऐप कॉल या फिर संदेश आने पर उनके जवाब न दें।
  • यदि समझ में न आए तो उस नंबर को ब्लॉक कर फोन को कुछ देर के लिए बंद कर दें।
  • किसी भी नीले रंग के लिंक पर क्लिक न करें।
  • यदि कोई खुद को पुलिस का अधिकारी बताकर व्यक्तिगत जानकारी कॉल कर पूछ रहा है तो जवाब न दें।
  • यदि कॉल करने वाला कहे कि आप डिजिटल गिरफ्तारी में हैं, तो जवाब न दें। यह एक साइबर फ्रॉड है।
  • यदि कोई कॉल कर कहे कि उन्होंने गलती से आपके यूपीआई आईडी पर रुपये भेज दिए और अब उन्हें वापस चाहिए, तो जवाब न दें।
  • वीडियो मोड में किसी भी कॉल का जवाब न दें।
  • यदि किसी को पुलिस या फिर किसी एजेंसी से नोटिस मिले तो उसे तो उसे ऑफलाइन सत्यापित करें।
  • यदि किसी वजह से साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं, तो बिना देर किए स्थानीय साइबर पुलिस या फिर 1930 पर सूचना दें।
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