अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा या खत्म होगा इस पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएगी। संविधान पीठ ने एक फरवरी को इस पर फैसला सुरक्षित रखा था। इस फैसले का असर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी पर भी पड़ेगा। एएमयू को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है।

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस विवादास्पद कानूनी सवाल पर अपना फैसला सुनाएगा कि क्या अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है। अनुच्छेद 30 धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनके प्रशासन का अधिकार देता है।

फैसले का असर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी पर भी पड़ेगा

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएगी। संविधान पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, सूर्यजेबी कांत, पार्डीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा भी शामिल हैं। इस फैसले का असर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी पर भी पड़ेगा।

अदालत ने आठ दिन तक दलीलें सुनने के बाद एक फरवरी को इस सवाल पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक फरवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि एएमयू अधिनियम में 1981 के संशोधन ने केवल आधे-अधूरे मन से काम किया और संस्थान को 1951 से पहले की स्थिति में बहाल नहीं किया। 1981 के संशोधन ने इसे प्रभावी रूप से अल्पसंख्यक दर्जा दिया था।

 

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