हरियाणा में कोई वित्त मंत्री लगातार दूसरी बार चुनकर विधानसभा में नहीं पहुंचा है। कार्यवाहक वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल भी यह सिलसिला तोड़ नहीं पाए जो भिवानी के लोहारू में कांग्रेस उम्मीदवार राजबीर फरटिया से नजदीकी मुकाबले में हार गए। हालांकि, विधानसभा उपाध्यक्ष के दोबारा विधायक नहीं बन पाने का मिथक तोड़ते हुए पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा हिसार के बरवाला में कांग्रेस प्रत्याशी रामनिवास घोड़ेला को करीब 27 हजार वोटों से हराकर जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं।
30 साल से एक भी वित्त मंत्री दोबारा विधानसभा नहीं पहुंचा
- 1991 में चौधरी भजनलाल की सरकार में मांगेराम गुप्ता वित्त मंत्री थे, लेकिन 1996 में वे चुनाव हार गए
- 1996 में सेठ श्री किशन दास वित्त मंत्री बने, लेकिन 2000 में वे विधानसभा नहीं पहुंच सके।
- 2000 में चौधरी ओमप्रकाश चौटाला सरकार में प्रो. संपत सिंह वित्त मंत्री रहे। 2005 में वे भी विधानसभा नहीं पहुंच पाए।
- 2005 में चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार में चौधरी बीरेंद्र सिंह वित्त मंत्री रहे और 2009 में चुनाव हार गए।
- 2009 में यानी हुड्डा की दूसरी पारी में कैप्टन अजय सिंह यादव वित्त मंत्री बने। 2014 में लोगों ने उन्हें घर बैठा दिया।
- 2014 से 2019 तक वित्त मंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यु भी अगला चुनाव नहीं जीत सके।
- 2019 से 12 मार्च, 2024 तक मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वित्त विभाग अपने पास रखा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने टर्म पूरी होने से पहले ही मुख्यमंत्री और विधानसभा से इस्तीफा दे दिया।
- मार्च, 2024 में मनोहर के बाद लोहारू से विधायक जेपी दलाल नए वित्त मंत्री बने, जो अब चुनाव हार गए हैं।
विधानसभा स्पीकर को लेकर टूटी धारणा
विधानसभा के उपाध्यक्ष पद को लेकर भी विधायकों में अच्छी धारणा नहीं रहती है। साल 2005 में हुड्डा सरकार में फिरोजपुर-झिरका से विधायक आजाद मोहम्मद डिप्टी स्पीकर बने थे, लेकिन 2009 में वे चुनाव हार गए। हुड्डा ने दूसरी पारी में बसपा विधायक अकरम खान को डिप्टी स्पीकर बनाया, लेकिन इसके बाद वे भी विधानसभा का मुंह नहीं देख सके। हालांकि, मौजूदा चुनाव में अकरम खान कार्यवाहक मंत्री कंवरपाल गुर्जर को हराकर फिर से विधायक बन गए हैं।
वर्ष 2014 में भाजपा ने संतोष यादव को डिप्टी स्पीकर बनाया, लेकिन 2019 में उनका टिकट काट दिया। उनके बाद नलवा से विधायक बने रणबीर गंगवा को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया गया। भाजपा ने इस बार गंगवा को बरवाला से टिकट थमाया, जिसके बाद वे फिर से विधानसभा पहुंचने में सफल रहे हैं।
शुभ साबित नहीं हुईं दो कोठियां
चंडीगढ़ में हरियाणा कोटे की कुछ ऐसी कोठियां हैं, जिनके साथ ‘शुभ-अशुभ’ का गणित जुड़ा है। इन्हीं में शामिल हैं सेक्टर-दो की कोठी नंबर 48 और सेक्टर सात की कोठी नंबर-78, जिनमें रहने वाले मंत्रियों में कोई भी दोबारा जीत नहीं पाया। इन मंत्रियों ने कोठियों में वास्तु के हिसाब से बदलाव किए और
