वैसे तो इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच पिछले साल 8 अक्तूबर से ही दक्षिणी लेबनान से सटे इलाकों में रह-रहकर टकराव होते रहे हैं लेकिन पिछले हफ्ते से दोनों के बीच खूनी जंग छिड़ गई है। इससे मिडिल ईस्ट में जंग, संघर्ष और तनाव का एक नया मोर्चा खुल गया है। इजरायल ने पिछले हफ्ते लगातार दो दिन (17 और 18 सितंबर को) लेबनान में हिज्बुल्लाह लड़ाकों के पेजर्स और वॉकी-टॉकी हैक कर धमाके कराए जिसमें 37 लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए। इसके बाद इजरायल ने लेबनान के अंदर हिज्बुल्लाह के 1600 ठिकानों पर स्ट्राइक कर दिया, जिसमें 500 के करीब लोग मारे गए हैं और हजारों घायल हुए हैं।

इस घटना के बाद से दोनों तरफ से हमले तेज हो गए हैं। आज हिज्बुल्लाह ने इजरायली शहर तेल अवीव में मिसाइल से हमला किया लेकिन इजरायली सेना ने उसे नाकाम कर दिया। इजरायली सेना ने एक बयान में कहा है कि हिज्बुल्लाह आतंकियों ने उत्तरी इजरायल में करीब 300 रॉकेट और मिसाइल दागे हैं। इससे इस बात की आशंका बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में इलाके में संघर्ष और बढ़ने वाला है क्योंकि हिज्बुल्लाह के पास विध्वंसक हथियारों का जखीरा है और उसे ईरान का समर्थन प्राप्त है, जो उसे फंड और हथियार उपलब्ध कराता रहा है।

हिज्बुल्लाह के पास कौन-कौन से हथियार?

हिजबुल्लाह संभवतः दुनिया का सबसे भारी हथियारों से लैस गैर-सरकारी समूह है, जिसके पास हमास से भी ज्यादा आधुनिक और विध्वंसक हथियार हैं। फिर भी इजरायली सेना इससे कहीं ज्यादा शक्तिशाली है। हिजबुल्लाह ने 2006 में इजरायल के साथ अपने आखिरी संघर्ष के बाद से रॉकेट और मिसाइलों का भंडार जमा करना जारी रखा है। CNN की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हिज्बुल्लाह के पास 120,000 रॉकेट और 200,000 मिसाइलें हैं। मध्य पूर्व अल मॉनिटर साइट कहती है कि कथित तौर पर 2006 में समूह के पास लगभग 15,000 रॉकेट थे, जबकि पिछले कुछ वर्षों के अनुमानों से पता चलता है कि यह संख्या लगभग 10 गुना बढ़ गई है।

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