मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट) और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं को लेकर विपक्ष संसद के दोनों सदनों में खास चर्चा चाहता है। इसके लिए विपक्ष संसद में स्थगन प्रस्ताव लाएगा। विपक्ष ने कहा है कि वह कल संसद में इस मुद्दे को उठाएगा। वहीं बताया जा रहा है कि सरकार भी इस मामले पर सवालों के जवाब देने के लिए तैयार है।
क्या होता है स्थगन प्रस्ताव
संसद में स्थगन प्रस्ताव किसी सार्वजनिक महत्व के मामले की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है। इसे स्वीकार करने के लिए 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। इसे संसदीय कार्यवाही के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक कहा जा सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो स्थगन प्रस्ताव एक असाधारण प्रक्रिया है, जिसे स्वीकार किए जाने पर सदन के सामान्य कामकाज को स्थगित करके तत्काल सार्वजनिक महत्व के किसी निश्चित मामले पर चर्चा की जाती है।
नीट मामले पर सरकार से खफा है विपक्ष
नीट के मुद्दे पर विपक्ष के रुख की बात करें तो कांग्रेस ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण पर भी सवाल उठाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण में देश की जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया गया है और जनहित के मुद्दों का कहीं जिक्र नहीं हुआ है, तथा उन पर पूरी तरह से पर्दा डालने का काम हुआ है। खरगे ने कहा, “मैं राज्यसभा में अपने भाषण में विस्तृत प्रतिक्रिया दूंगा, पर प्रथमदृष्टया मैं कुछ बातें कहना चाहता हूं।”
खरगे ने कहा, “नीट परीक्षा घोटाले में लीपापोती नहीं चलेगी। पिछले पांच वर्षों में एनटीए द्वारा कराए गए 66 भर्ती परीक्षाओं में कम से कम 12 में पेपर लीक और धांधली हुई है जिससे 75 लाख से अधिक युवा प्रभावित हुए हैं। मोदी सरकार केवल यह कहकर कि ‘दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए’- अपनी जवाबदेही से भाग नहीं सकती। युवा न्याय मांग रहा है। मोदी सरकार के शिक्षा मंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। देश का हर दूसरा युवा बेरोज़गार है, और भाषण में बेरोज़गारी दूर करने की कोई ठोस नीति सामने नहीं आई है। सिर्फ़ बातें करने से समस्या का हल नहीं निकलता इसके लिए निर्णायक कदम उठाने होते हैं।”