भारत की स्पेस एजेंसी अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने सबसे खास मिशन गगनयान की तैयारियों में लगी है। अब खबर है कि इस मिशन में दुनिया की सबसे दिग्गज अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा भी भारत की मदद करेगी। खुद नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के प्रमुख बिल नेल्सन ने इसकी पुष्टि की है। नासा के प्रशासक नेल्सन ने कहा है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी भारत के साथ सहयोग का विस्तार करेगी। उन्होंने कहा है कि नासा एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री के साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर “मिलकर काम” करेगा।
नेल्सन की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने मंगलवार को अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन से इस मुद्दे पर बात की थी। जेक सुलिवन और अजीत डोभाल के बीच आईसीईटी वार्ता के बाद एक पत्र जारी किया गया था जिसमें कहा गया है कि वे अमेरिका में इसरो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एडवांस ट्रेनिंग शुरू करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
डोभाल ने मंगलवार को अपने अमेरिकी समकक्ष जेक सुलिवन की उपस्थिति में कहा कि भारत और अमेरिका को बड़े रणनीतिक हित के हिस्से के तहत महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास में सबसे आगे रहना चाहिए। डोभाल की यह टिप्पणी उनके और सुलिवन द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सेमीकंडक्टर, महत्वपूर्ण खनिज, उन्नत दूरसंचार और रक्षा क्षेत्र के क्षेत्रों में भारत-अमेरिका सहयोग को गहरा करने के लिए परिवर्तनकारी पहलों का अनावरण करने के एक दिन बाद आई है।
अब नासा चीफ ने कहा, “पिछले साल भारत की मेरी यात्रा के बाद, नासा मानवता के लाभ के लिए महत्वपूर्ण और उभरती हुई टेक्नोलॉजी पर अमेरिका और भारत की पहल को आगे बढ़ा रहा है। हम साथ मिलकर अंतरिक्ष में अपने देशों के सहयोग का विस्तार कर रहे हैं, जिसमें इसरो अंतरिक्ष यात्री के साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक संयुक्त प्रयास शामिल है।” नेल्सन ने कहा, “हालांकि मिशन को लेकर डिटेल पर अभी भी काम चल रहा है, लेकिन ये प्रयास भविष्य में मानव अंतरिक्ष उड़ान का समर्थन करेंगे और पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाएंगे।”
नई दिल्ली में, सुलिवन और डोभाल ने सोमवार को कहा कि नासा जॉनसन स्पेस सेंटर में इसरो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एडवांस ट्रेनिंग शुरू करने की दिशा में काम कर रहे हैं। दोनों नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष यात्रियों के बीच पहली बार संयुक्त प्रयास के लिए एक वाहक (carrier) को सुरक्षित करने पर विचारों का आदान-प्रदान किया, जो भारत-अमेरिका अंतरिक्ष साझेदारी और अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।