देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी राजस्थान हाईकोर्ट के इस फैसले को बरकरार रखा। साथ ही कि कक्षा एक से पांच तक की शिक्षक भर्ती के लिए केवल बीटीसी धारकों को ही योग्य बताया। इसके साथ ही कोर्ट ने NCTE के साल 2018 में आए इस नोटिफिकेशन को भी खारिज कर दिया गया। इस निर्णय के बाद से ही बीएडवालों का शिक्षक बनने का सपना टूट गया।
दरअसल, सारा मामला NCTE की ओर से जारी किए गए साल 2018 में नोटिफिकेशन से शुरू हुआ था। इसमें कहा गया था कि बीएड डिग्री धारक भी प्राइमरी शिक्षक भर्ती बनने के योग्य होंगे, बस उन्हें 6 महीने का एक ब्रिज कोर्स करना होगा। इसके कुछ वक्त बाद ही राजस्थान सरकार ने राजस्थान टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (RTET) के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इस सूचना के मुताबिक रीट लेवल 1 के लिए बीएड डिग्री धारकों को योग्य नहीं माना था। इसके बाद सरकार के इस फैसले के खिलाफ तमाम कैंडिडेट्स हाईकोर्ट पहुंच गए थे।
इसके बाद पूरे मामले की सुनवाई करते हुए कहा राजस्थान हाईकोर्ट ने बीटीसी धारकों को ही कक्षा एक से पांच तक की भर्ती के लिए आवेदन करने के योग्य बताया। कोर्ट ने कहा कि B.Ed डिग्री धारक प्राइमरी टीचर की पोस्ट के लिए आवेदन करने के एलिजिबल नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
पूरा मामला फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इसके बाद देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी राजस्थान हाईकोर्ट के इस फैसले को बरकरार रखा। साथ ही कि कक्षा एक से पांच तक की शिक्षक भर्ती के लिए केवल बीटीसी धारकों को ही योग्य बताया। इसके साथ ही कोर्ट ने NCTE के साल 2018 में आए इस नोटिफिकेशन को भी खारिज कर दिया गया।
बिहार, केवीएस शिक्षक भर्ती से हुए बाहर
सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी किए गए इस फैसले के बाद से बैचलर ऑफ़ एजुकेशन डिग्री वाले हाल ही में बिहार शिक्षक भर्ती और केवीएस पीआरटी से बाहर कर दिए गए।