शाहजहांपुर।(आकाश सक्सेना) अपने माता-पिता को बुढ़ापे के समय छोड़ न दें, आईएएस और आईपीएस बनने के बाद बूढ़े मां बाप बोझ लगने लगते हैं। ऐसे में बुढ़ापे में मां बाप सहारा देने का संदेश लेकर संस्कार संस्था के पदाधिकारी 25 हजार किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के भोपाल से राज्यपाल ने इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी। बुधवार शाम ये यात्रा शाहजहांपुर के नेशनल हाइवे 24 पर स्थित एक ढाबे के पास पहुंची। यहां भाजपा सांसद के प्रतिनिधि संजीव कुमार सक्सेना समेत कई लोगों ने गले में माला पहनाकर उनका स्वागत किया। उसके बाद यही यात्रा बरेली की ओर चली गई।
दरअसल संस्कार संस्था के फाउंडर हरभजन झांगड़े के नेतृत्व में इस यात्रा को 14 मई को मध्यप्रदेश के भोपाल से शुरू की गई थी। इस यात्रा को एमपी के राज्यपाल ने हरि झंडी दिखाई थी। देश के प्रत्येक प्रदेश के अलग अलग जिलों में इस यात्रा का स्वागत किया जा रहा है। इस तरह 25 हजार किलोमीटर का सफर तय कर छह जुलाई को इस यात्रा का समापन होगा। इस यात्रा का मकसद दुनिया के हर व्यक्ति से जुड़ा है। बच्चे का जन्म होने के बाद उसकी परवरिश मां बाप करते हैं। मां बाप हर जतन कर औलाद को इस लायक बनाते हैं ताकि, उसका भविष्य ऐसा हो कि, बच्चों को किसी के आगे हाथ फैलाना न पड़े। मगर आजकल के दौरान में देखने को मिलता है। बच्चे पढ़ लिखकर जब अधिकारी और बड़े कारोबारी बन जाते हैं। तब बूढ़े मां-बाप उनको बोझ लगने लगते हैं। ऐसे में नई पीढ़ी को इस यात्रा के माध्यम से संदेश दिया जा रहा है कि, जब बच्चों को बचपन में मां-बाप की जरूरत होती है तब मां बाप उन बच्चों का सहारा बनते हैं। इसी तरह बुढ़ापे में जब मां बाप को बच्चो की जरूरत पड़ती है तब उन बच्चों को अपने मां-बाप से मूंह नही मोड़ना चाहिए। इसी संदेश को लेकर इस यात्रा को अलग अलग प्रदेशों के जिलों में ले जाया जा रहा है।
संस्कार संस्था के फाउंडर हरभजन झांगड़े ने एलर्ट स्टार न्यूज से खास बातचीत में कहा कि, इस संस्था का किसी राजनीतिक पार्टी से मतलब नही है। इसका मकसद इतना है कि, युवा पीढ़ी को उनके माता-पिता के प्रति सम्मान करने के लिए मोटिवेट करना है। उनके मन में ये भाव पैदा करना कि, उनके माता-पिता ही उनके लिए सर्वोपरि हैं। जिन माता-पिता ने जीवन दिया, दुनिया दिखाई, जिन माता-पिता ने देश में रहने के लिए सबसे परिचय कराया। ऐसे माता-पिता हमारे लिए सबसे पहले हैं। माता-पिता अपना पूरा जीवन लगाकर बच्चों की परवरिश करते हैं। छोटे से लेकर बड़ा करते हैं, पढ़ाते लिखाते हैं। इस मुकाम पर पहुंचा देते हैं कि, बच्चे सर उठाकर जिंदगी को जी सकें। जब वही बच्चे बड़े हो जाते हैं, आईएएस, आईपीएस, पीसीएस बन जाते हैं। इन ओहदों पर पहुंचने के बाद जब बच्चे हाई प्रोफाइल सोसाइटी में चले जाते हैं। तब उन्ही माता-पिता को अपने साथ में रखना बोझ लगने लगता है। वही बच्चे अपने माता-पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ देते हैं। जिस तरह से वेस्टर्न कल्चर बढ़ रहा है। इसको मिटाना और हमारी सनातन संस्कृति को वापस लाना और युवाओं में माता-पिता के प्रति सम्मान जगाना। यही इस संस्था का उद्देश्य है। 51 दिन की इस यात्रा में लग रहा है कि, जिस मकसद से यात्रा निकाली है। उसमें जरूर कामयाब होंगे। संस्कार संस्था की भारत यात्रा के शाहजहांपुर पहुंचने पर बहुत ही उत्साह के साथ पूरी टीम का फूल मालाओं से स्वागत किया गया। स्वागत करने वालों में मनोज सक्सेना, आकाश सक्सेना, अनिल वर्मा, प्रदीप वर्मा, आसिफ़ अली,फुरकान खान आदि लोग थे।

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