मुंबई: एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच एक विज्ञापन के चलते खटास पैदा हो गई है। महाराष्ट्र की शिंदे-फडवीस सरकार पर भी इस खटास का असर देखने को मिल रहा है।

शिंदे की शिवसेना ने इस मुद्दे पर बुधवार को डैमेज कंट्रोल की कोशिश करते हुए एक नया विज्ञापन दिया, जिसमें उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अन्य बीजेपी नेताओं के सम्मान का पूरा ध्यान रखा गया। बता दें कि मंगलवार को शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने एक सर्वे का हवाला देते हुए एक विज्ञापन प्रकाशित किया था जिसमें शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस की तुलना में ज्यादा लोगों की पसंद दर्शाया गया था।

विज्ञापन से फडणवीस भी हैं खफा
शिंदे की शिवसेना द्वारा यह विज्ञापन सामने आने के बाद गठबंधन की छवि बिगड़ती हुई नजर आई। माना जा रहा है कि विज्ञापन के जरिए फडणवीस के कद को नीचा दिखाने की कोशिश की गई। इसकी वजह से बीजेपी के तमाम नेता और खुद फडणवीस भी नाराज बताए जा रहे हैं। विज्ञापन को लेकर विपक्ष ने जैसे ही सरकार पर हमला बोलना शुरू किया, बीजेपी और शिवसेना के मंत्रियों पर भी इसका असर नजर आ गया। विज्ञापन विवाद के बाद ऐसा दो बार हो चुका है जब पहले से तय कार्यक्रम में फडणवीस ने शिंदे के साथ मंच साझा करने से किनारा किया।

बीजेपी ने शिंदे गुट के सामने कही दो टूक
सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट बैठक के खत्म होने के बाद सरकार के सीनियर मंत्रियों ने अधिकारियों से बाहर जाने को कहा था। इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री फडणवीस के सामने बीजेपी के मंत्रियो अतुल सावे, गिरीश महाजन, रविंद्र चव्हाण, सुधीर मुनगंटीवार ने शिंदे गुट के दीपक केसरकर, शंभुराजे देसाई और तानाजी सावंत से विज्ञापन को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। कुछ सीनियर बीजेपी मंत्रियों ने तो ये तक कह दिया कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना की सभाओं में बीजेपी के लोगों की मदद से ही भीड़ जुटती है, और अगर ये नहीं थमा तो बीजेपी दिखा देगी कि कौन कितने पानी में है।

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