गले तक कर्ज में डूबा पाकिस्तान लोगों में खैरात बांट रहा है। पाकिस्तान में महंगाई की दर आसमान छू रही है। विदेशी मुद्रा भंडार भी खत्म होने वाला है। इस स्थिति में, पाकिस्तान अपने खास दोस्त चाइना और इस्लामिक देश सऊदी अरब और यूएई से लोन मांग रहा है।

पाकिस्तान की आमदनी कम है लेकिन खर्चे अपार हैं। शुक्रवार को पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने पाकिस्तानी मुद्रा में 14.5 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया। उसमें से 7.3 लाख करोड़ रुपए कर्ज निपटान पर खर्च किए जाने की बात कही जा रही है।

अगर सब कुछ ठीक रहा तो पाकिस्तान में इस साल के अंत में चुनाव होंगे। इससे पहले वित्त मंत्री इशाक डार ने शुक्रवार को आखिरी बार पूर्ण बजट पेश किया। शाहबाज शरीफ फिर से सत्ता में काबिज रहे इसलिए उनकी सरकार ने देश के ढांचागत विकास के लिए कई विकास परियोजनाओं में 950 करोड़ रुपये निवेश करने की बात कही है। बजट में प्रशासनिक अधिकारियों के वेतन में 35 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि की घोषणा की गई है। सरकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति भत्ते में भी 17.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के सत्तारूढ़ गठबंधन का यह कदम चुनाव से पहले अधिकारियों को खुश करने का एक मास्टर प्लान है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पहले पाकिस्तान सरकार को आगाह कर दिया है वह ऋण देने की शर्त के रूप में किसी भी नई सार्वजनिक परियोजनाओं का ऐलान नहीं देखना चाहता। इस बात को ध्यान में रखते हुए शरीफ सरकार ऐसा कोई ऐलान नहीं किया। अगला चुनाव जीतने की उम्मीद देखकर शहबाज शरीफ सरकार कोई ऐसा कदम उठाना चाहती थी जिससे वह सरकार में काबिज रहे, इसलिए सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की घोषणा की गई।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ ने देश के आर्थिक संकट के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि उनके गलत फैसलों की वजह से देश का यह हाल हुआ है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद की 3.5 फीसदी की वृद्धि दर के साथ बजट पेश किया गया है। हालांकि वर्ल्ड बैंक का मानना ​​है कि यह दर 2 फीसदी से ज्यादा नहीं होगी।

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