दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पीएम नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर एक बार फिर कोर्ट पहुंचे हैं। केजरीवाल ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए मार्च में दिए गए आदेश पर दोबारा विचार की अपील की है।

कोर्ट ने गुजरात यूनिवर्सिटी की याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसमें डिग्री साझा करने को कहा गया था। कोर्ट ने सीआईसी के आदेश को खारिज करने के साथ ही केजरीवाल पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था। आप संयोजक ने इस पर भी दोबारा विचार करने की अपील की है और अपने तर्क पेश किए हैं।

जस्टिस बीरने वैष्णव ने शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किया। गुजरात यूनिवर्सिटी, केंद्र सरकार, सीआईसी और पूर्व सीआईसी कमिश्नर एम श्रीधर आचार्यलू को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 30 जून को हो सकती है। केजरीवाल ने कहा है कि तब यूनिवर्सिटी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहतता ने कहा था कि पीएम मोदी की डिग्री यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उन्होंने कहा, ‘वेबसाइट को देखने के बाद पता चला कि ‘डिग्री’ वहां उपलब्ध नहीं है, बल्कि एक OR (ऑफिस रजिस्टर) को प्रदर्शित किया गया है।’ दिल्ली सीएम की ओर से यह भी कहा गया है कि इस पर कोई मुहर या हस्ताक्षर नहीं है। इसका सत्यापन असंभव है।

केजरीवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘डिग्री’ के प्रदर्शन को अदालत के पुराने देश की समीक्षा के लिए मुख्य आधार के रूप में लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा है कि मेहता ने उस दिन मौखिक रूप से पहली बार कहा था कि डिग्री वेबसाइट पर उपलब्ध है। केजरीवाल ने कहा है कि उनके पास इसे सत्यापित करने का मौका नहीं था और ओआर को डिग्री नहीं माना जा सकता है जैसा कि यूनिवर्सिटी ने दावा किया है।

केजरीवाल ने 25 हजार रुपए के जुर्माना लगाए जाने को भी चुनौती दी है। केजरीवाल की ओर से कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने इस सूचना के लिए कोई आवेदन नहीं दायर की थी और अप्रैल 2016 में सीआईसी के लेटर के जवाब में एक लेटर लिखा था। केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने सीआईसी से इस सूचना के लिए कभी आवेदक बनाने की गुजारिश नहीं की थी, सीआईसी ने स्वत: संज्ञान लेकर प्रक्रिया शुरू की थी। केजरीवाल ने फैसले पर दोबारा विचार की अपील करते हुए गुजारिश की कि अंतिम फैसला आने तक पुराने आदेश पर रोक लगा दी जाए।

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