अमेरिका में राहुल गांधी के मु्स्लिम लीग को लेकर दिए बयान पर सवाल उठ रहे हैं। राहुल गांधी ने मुस्लिम लीग को सांप्रदायिक पार्टी बताने और उससे गठबंधन के सवाल पर कहा कि ऐसी बातें करने वालों को इतिहास की जानकारी नहीं है।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग पूरी तरह से सेक्युलर पार्टी है। उनके बयान पर अब भाजपा सवाल उठा रही है। केरल में सक्रिय मुस्लिम लीग को सेक्युलर बताने पर भाजपा का कहना है कि राहुल गांधी ने वायनाड सीट पर खुद को मजबूत रखने के लिए ऐसी बात कही है।

इस बीच मुस्लिम लीग और कांग्रेस के इतिहास को लेकर भी चर्चा हो रही है। कांग्रेस और केरल वाली मुस्लिम लीग का रिश्ता कई दशक पुराना है। लेकिन यह भी एक तथ्य है कि इस पार्टी के गठन का ही पंडित जवाहर लाल नेहरू ने विरोध किया था। दरअसल देश के विभाजन के बाद जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग को भंग कर दिया गया था। इसके बाद पश्चिम और पूर्व पाकिस्तान में जिन्ना ने दो अलग-अलग मुस्लिम लीग गठित कराई थीं। वहीं भारत में 1948 में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का गठन किया गया था। इस पार्टी को भी एक पूर्व कांग्रेसी ने ही स्थापित किया था।

तमिल नेता मोहम्मद इस्माइल 1920 के आसपास कांग्रेस से जुड़े थे। फिर जब देश आजाद हुआ तो उन्होंने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग बनाने का फैसला लिया। हालांकि उनके इस फैसले का इस्माइल के ही कई दोस्तों ने विरोध किया था। यहां तक कि देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू भी ऐसी पार्टी के गठन के पक्ष में नहीं थे। यहां तक कि उन्होंने गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन से भी कहा था कि वह मोहम्मद इस्माइल को सलाह दें कि मुस्लिम लीग बनाने का इरादा छोड़ दें।

नेहरू ने कहा था, अब देश को मुस्लिम लीग की जरूरत क्या है

सेक्युलर राजनीति के पुरोधा कहे जाने वाले जवाहर लाल नेहरू का मत था कि भारतीय मुस्लिमों को अब लीग जैसी किसी पार्टी की जरूरत नहीं है। उनका कहना था कि मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व कांग्रेस करती है और सार्वजनिक जीवन में मु्स्लिमों को इसके जरिए स्थान मिल सकता है। फिर भी मोहम्मद इस्माइल नहीं माने और उन्होंने मुस्लिम लीग बना ली। हालांकि पार्टी बनने के 10 साल बाद तक उस पर कड़ी निगरानी रखी गई थी। यही नहीं फरवरी 1957 में केरल में एक रैली के दौरान नेहरू ने तत्कालील दल पीएसपी की ओर से मुस्लिम लीग से दोस्ती की आलोचना भी की थी।

जब नेहरू ने कहा- कहीं और के इशारों पर चलती है मुस्लिम लीग

जवाहर लाल नेहरू ने राज्य में चुनाव से दो दिन पहले ही कहा था कि यह मुस्लिम लीग कहीं और के इशारों से चलती है। उन्होंने खुलकर कुछ नहीं कहा था, लेकिन उनका संकेत साफ था कि मुस्लिम लीग कहीं और लॉयल है। बता दें कि बाद में संघ परिवार की ओर से भी मुस्लिम लीग पर ऐसे ही आरोप लगाए जाते रहे। मुस्लिम लीग खुद ही अपनी वेबसाइट पर खुद को मुस्लिम संगठन बताती है। हालांकि उसने अपने उद्देश्यों में दूसरे समुदाय के लोगों से अच्छे संबंध रखने के प्रयास को भी शामिल किया है।

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