उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित मंदिर में हुए ध्वजारोहण पर पाकिस्तान खिसियाता नजर आ रहा है। पड़ोसी मुल्क ने एक बार फिर बाबरी मस्जिद का मुद्दा उठाया है और भारत पर मुस्लिम विरासत को कम करने की कोशिश के आरोप लगाए हैं। अल्पसंख्यकों के अधिकारों के हनन और आतंकवाद फैलाने के आरोप से घिरे मुल्क ने UN यानी संयुक्त राष्ट्र से अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की मांग की है। फिलहाल, भारत सरकार की तरफ से इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मंगलवार को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच केसरिया ध्वज फहराया। इस अनुष्ठान के साथ ही मंदिर का निर्माण औपचारिक रूप से पूरा हो गया। यह ध्वज पारंपरिक उत्तर भारतीय नागर शैली में बने शिखर पर फहराया गया, जबकि मंदिर के चारों ओर बना 800 मीटर का परकोटा (दक्षिण भारतीय वास्तु शैली में डिजाइन किया गया घेरा) मंदिर की शिल्प विविधता को दिखाता है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने लिखा, ‘पाकिस्तान ने आयोध्या में ऐतिहासिक बाबरी के स्थान पर बने तथाकथित राम मंदिर पर ध्वजारोहण पर चिंता जाहिर की है। सदियों पुरानी प्रार्थना की जगह को 6 दिसंबर 1992 में चरमपंथी भीड़ ने गिरा दिया था। इसके बाद भारत में हुई न्यायिक प्रक्रिया में जिम्मेदारों को बरी कर दिया गया और मस्जिद की जगह पर मंदिर निर्माण की अनुमति दी गई।’ पाकिस्तान ने भारत पर भेदभाव के आरोप लगाए।

मानवाधिकार उल्लंघन के कई आरोप झेल चुके पाकिस्तान ने कहा, ‘यह भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते दबाव और मुस्लिम सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को जानबूझकर कम करने की कोशिश है।’ पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की है। पाकिस्तान ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र और संबंधित अंतरराष्ट्रीय निकायों को इस्लामिक विरासत की सुरक्षा और सभी अल्पसंख्यकों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा में भूमिका निभानी चाहिए।’

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की 24 जुलाई 2025 की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, एक्सपर्ट्स ने पाकिस्तान में कमजोर समुदायों के खिलाफ हुई हिंसा पर हैरानी जताई थी। विज्ञप्ति के अनुसार, UNHR एक्सपर्ट्स ने पाकिस्तान से अपील की है कि अहमदिया समुदाय समेत धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी हिंसा के बीच कड़े कदम उठाए जाएं।

आगे कहा गया, ‘हम कमजोर समुदायों के खिलाफ उनके धर्म या विश्वास के आधार पर बढ़ती हिंसा की खबरों से हैरान हैं।’ आगे कहा गया, ‘इन समुदायों ने अपने खिलाफ दुश्मनी और नफरत की वकालत के संदर्भ में हमले, हत्याएं और उत्पीड़न देखा है।’

एक्सपर्ट्स ने कहा, ‘पाकिस्तान को सजा से बचने के उस पैटर्न को तोड़ना होगा, जिसमें हमलों और नफरत भड़काने वालों को बगैर रोकटोक काम करने दिया जाता है।’ साथ ही कहा गया कि ये हमले सरकारी मिलीभगत से होते हैं। एक्सपर्ट्स ने पाकिस्तान सरकार से इन उल्लंघनों की जांच करने और आपराधियों को सजा दिलाने की मांग की थी।

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