बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत और महागठबंधन की करारी हार के बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कई तीखे सवाल उठाए हैं। सीमांचल के मुस्लिम-बहुल क्षेत्र में AIMIM ने पांच सीटें जीतकर अपनी पकड़ बनाए रखी, जबकि कांग्रेस से सिर्फ एक सीट पीछे रही। 2020 में जीती गई पांच सीटों में से चार विधायकों के RJD में जाने के बावजूद AIMIM ने अपनी मजबूती बरकरार रखी। इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में ओवैसी ने कहा कि भाजपा को रोकने की जिम्मेदारी अकेले मुस्लिम ही क्यों उठाएं।
ओवैसी ने कहा कि AIMIM की जीत वहां की जनता के भरोसे की जीत है। उनके अनुसार, सीमांचल के मुद्दों को सिर्फ उनकी पार्टी ने प्राथमिकता दी। पिछली बार विधायकों के टूटने के बावजूद जनता AIMIM के साथ खड़ी रही। उन्होंने कहा, “हमने बताया कि सीमांचल क्यों पिछड़ा है, स्थानीय भ्रष्टाचार क्या है। दूसरे नेता तो बस आकाशवाणी कर रहे थे।”
ओवैसी ने कहा कि विपक्षी पार्टियां मुसलमानों को लेकर ईमानदार नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष मुसलमानों की बात करने से कतराता है। केवल AIMIM ही मुस्लिम नेतृत्व और सीमांचल की मूल समस्याओं पर बात करती है। उन्होंने कहा कि जब हर समाज को नेतृत्व मिलता है, तो मुसलमानों को क्यों नहीं? ओवैसी के मुताबिक, बिहार में मुसलमान 15% हैं, फिर भी टिकट लॉपीपॉप की तरह बांटे जाते हैं।
लालू यादव की पार्टी आरजेडी द्वारा AIMIM से गठबंधन न करने पर ओवैसी ने तीखा वार किया। ओवैसी ने कहा, “वे कहते हैं कि हमारे साथ आएंगे तो हिंदू वोट नहीं मिलेंगे। अब क्या मिल गया? क्या मुसलमान बंधुआ मजदूर हैं? क्या सिर्फ हम हैं जिन पर बीजेपी को रोकने का बोझ है? सॉफ्ट हो या हार्ड, हिंदुत्व एक ही है।”
विपक्ष द्वारा AIMIM को वोट-कटवा कहे जाने पर उन्होंने कहा, “लोकसभा की 540 सीटों में हम कितनी लड़ते हैं? 2004 से आज तक क्या RJD ने सरकार बनाई? हमको घर में बैठ जाना चाहिए सिर्फ इसलिए कि कोई आरोप लगा दे?” उन्होंने आरोप लगाया कि महागठबंधन खुद भी कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट करता रहा।
