लखनऊ: राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद और बख्शी का तालाब तहसील क्षेत्रों में गोमती नदी के रिवर बेड और सार्वजनिक तालाबों पर कथित अवैध अतिक्रमण का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता दीपक शुक्ला उर्फ तिरंगा महराज को नीलांश बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भेजे गए कानूनी नोटिस के जवाब में, तिरंगा महराज ने बिल्डर के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए, सार्वजनिक भूमि पर कब्ज़े के खिलाफ एक मजबूत कानूनी पक्ष रखा है।

गंभीर आरोप और राजस्व रिकॉर्ड

तिरंगा महराज के नोटिस जवाब में स्पष्ट किया गया है कि उनका कार्य पूर्णतः जनहित में है और वे विगत कई वर्षों से प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए आवाज़ उठा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नीलांश बिल्डर्स द्वारा ग्राम बदैयाँ, टिकरीकलां (मलिहाबाद) और यकडरियाकलां (बख्शी का तालाब) में गोमती नदी के किनारे “नीलांश थीम वाटर पार्क” विकसित किया गया है।

The water level of the Gomti river increased due to continuous rain | लगातार बारिश से गोमती नदी का जलस्तर बढ़ा: अमेठी प्रशासन ने नदी में स्नान पर लगाई रोक, आसपास के

नोटिस में राजस्व अभिलेखों का हवाला देते हुए बताया गया है कि गाटा संख्या- 971, 995, 996, 1055, 1056, 1081, 1022 (बदैयाँ), गाटा संख्या- 186, 193, 243 (टिकरीकलां) तथा खाता संख्या- 01848 (यकडरियाकलां) की भूमि सरकारी कागज़ों में ‘गोमती नदी’ और ‘तालाब’ के नाम से दर्ज है। आरोप है कि बिल्डर ने इन गाटों की भूमि पर बड़ी बाउंड्री वॉल बनाकर अवैध कब्ज़ा किया और व्यावसायिक लाभ कमा रहे हैं।

न्यायालय के आदेशों की अनदेखी

तिरंगा महराज ने अपने जवाब के समर्थन में पुख्ता प्रमाण संलग्न किए हैं। उनके अनुसार, शिकायतों के बाद राजस्व अधिकारियों ने जांच की, जिसमें अवैध अतिक्रमण सिद्ध हुआ। इस आधार पर, उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 67 के तहत राजस्व न्यायालयों ने बिल्डर के विरुद्ध भारी अर्थदण्ड लगाते हुए बेदखली का आदेश भी पारित किया।

हालांकि, नोटिस में कहा गया है कि न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद बिल्डर के प्रभाव के चलते अब तक न तो अवैध निर्माण हटाया गया और न ही अर्थदण्ड की वसूली हुई है।

हाईकोर्ट की जनहित याचिका

मामले को गंभीरता से लेते हुए, तिरंगा महराज ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ खण्डपीठ के समक्ष पी०आई०एल० संख्या-10/2024 दायर की थी। उच्च न्यायालय ने 05/02/2024 को उपजिलाधिकारियों को एक महीने के भीतर विवादित भूमि की पैमाइश कराकर पूर्ण सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का स्पष्ट आदेश दिया था।

जवाब में दावा किया गया है कि जिलाधिकारी के निर्देश पर राजस्व टीम ने जांच कर ली है, जिसमें बिल्डर द्वारा अवैध कब्जे की पुष्टि हुई है, किन्तु माननीय उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद यह रिपोर्ट अब तक न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं की गई है।

तिरंगा महराज के अधिवक्ता ने बिल्डर के नोटिस को “दुर्भावनापूर्ण” करार देते हुए कहा है कि उनके मुवक्किल जनहित के कार्यों को जारी रखेंगे। उन्होंने मांग की है कि बिल्डर 15 दिनों के भीतर अवैध अतिक्रमण हटा लें, अन्यथा विधिक कार्रवाई के लिए तैयार रहें। यह मामला अब जनहित और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एक बड़ी कानूनी जंग बन चुका है, जिसमें सरकारी आदेशों के क्रियान्वयन पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *