“सीपीआर केवल तकनीक नहीं, बल्कि जीवनदान का विज्ञान है” — प्रो. डॉ. हिमांशु ऐरन

देहरादून, 17 अक्टूबर 2025 |
रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय, देहरादून ने “सीपीआर जागरूकता अभियान 2025” का सफल आयोजन लाल बहादुर शास्त्री लोकप्रिय अस्पताल, प्रेमनगर के सभागार में किया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय की रचनात्मकता, सामाजिक उत्तरदायित्व और चिकित्सा शिक्षा के व्यावहारिक दृष्टिकोण का जीवंत उदाहरण रहा। आयोजन का उद्देश्य आमजन को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) जैसे जीवनरक्षक उपायों के प्रति जागरूक करना था।


कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 11 बजे दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसने पूरे सभागार में सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा का वातावरण निर्मित किया। इसके बाद रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. हिमांशु ऐरन ने स्वागत भाषण देते हुए सीपीआर के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा —


“सीपीआर केवल एक चिकित्सा तकनीक नहीं, बल्कि यह जीवनदान का विज्ञान है। यदि समाज का हर व्यक्ति इसे सीख ले, तो असंख्य जिंदगियाँ बचाई जा सकती हैं। शिक्षा तभी सार्थक है जब वह सेवा का माध्यम बने। सुभारती विश्वविद्यालय का यही लक्ष्य है — हर विद्यार्थी को समाज के प्रति संवेदनशील बनाना।”

दीप प्रज्वलन के उपरांत सम्मान समारोह में विशिष्ट अतिथियों और वक्ताओं को सम्मानित किया गया, जिन्होंने अपने योगदान से इस अभियान को प्रेरणादायक बनाया। तत्पश्चात नर्सिंग विद्यार्थियों ने एक सशक्त नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से आपातकालीन परिस्थितियों में समय पर सीपीआर देने की आवश्यकता को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। दर्शकों ने इसे अत्यधिक सराहा।


डॉ. अनुभा अग्रवाल,
गुणवत्ता प्रमुख,सुभारती अस्पताल,
ने सभी उपस्थितों को समाज में सीपीआर का ज्ञान फैलाने की शपथ दिलाई।
डॉ. आस्था श्रीवास्तव, सहआचार्य, गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय नें लाइव सीपीआर डेमोंस्ट्रेशन द्वारा छाती दबाव, एयरवे मैनेजमेंट और रेस्क्यू ब्रीदिंग की व्यावहारिक विधियों का प्रदर्शन किया।
पूरे कार्यक्रम के संचालन और समन्वय में प्रोफेसर एवं डीन, स्टूडेंट वेलफेयर श्रीमती नीतिका कौशल का योगदान विशेष रूप से सराहनीय रहा। उनके नेतृत्व में नर्सिंग संकाय ने विद्यार्थियों को प्रशिक्षण और आयोजन की जिम्मेदारी में उत्कृष्ट सहयोग दिया।


सुश्री वंशिका ने अपनी ऊर्जावान और आत्मविश्वासपूर्ण एंकरिंग से कार्यक्रम को जीवंत बनाए रखा, जबकि समापन सत्र में सुश्री अनामिका ने भावपूर्ण धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत कर सभी अतिथियों, आयोजकों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।


यह आयोजन सुभारती विश्वविद्यालय की उस रचनात्मक दृष्टि का प्रतीक है जो शिक्षा को समाज सेवा से जोड़ने में विश्वास रखती है। विश्वविद्यालय न केवल ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि छात्रों में जिम्मेदारी, सहानुभूति और जनकल्याण की भावना का विकास करता है।
कार्यक्रम का समापन इस प्रेरक संदेश के साथ हुआ कि “हर व्यक्ति सीपीआर सीखे, क्योंकि हर हाथ जीवन दे सकता है।”
सीपीआर जागरूकता कार्यक्रम 2025 केवल एक विश्वविद्यालयीय आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान था — एक ऐसा संकल्प जिसने यह साबित किया कि जब शिक्षा सेवा से जुड़ती है, तो उसका प्रभाव केवल पुस्तकों तक नहीं, बल्कि लोगों की सांसों तक पहुँचता है।

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