हिंदू धर्म के ज्यादातर घरों में आपने शुभ-लाभ लिखा हुआ जरूर देखा होगा। सिर्फ घर पर ही नहीं बल्कि लोग अपनी गाड़ियों में या फिर ऑफिस में धार्मिक दृष्टिकोण इसे अत्यंत शुभकारी और महतवपूर्ण माना जाता है। इतना ही नहीं दीपावली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते समय दीप प्रज्वलित कर घर के मुख्यद्वार पर शुभ और लाभ दो नाम लिखें जाते हैं। लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह उठता है कि आखिर ये नाम क्यों लिखा जाता है? चलिए इसका महत्व जानते हैं।

मान्यता है कि घर के मुख्य द्वार पर शुभ-लाभ और स्वस्तिक का चिह्न अंकित करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। चिन्हित नाम मात्र से घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक उर्जा घर में प्रवेश नहीं करती। साथ ही विघ्नहर्ता भगवान गणेश की कृपा सदैव बनी रहती है।

पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान गणेश का विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री रिद्धि और सिद्धि नामक दो कन्याओं से हुआ था। रिद्धि से ‘क्षेम'(शुभ) और सिद्धी से ‘लाभ’ नाम के दो पुत्र हुए। रिद्धि शब्द का भावार्थ है ‘बुद्धि’ जिसे हिंदी में शुभ कहते जो कल्याण करती हैंष वहीं सिद्धी शब्द का अर्थ लाभ से है जो हमे लाभ प्रदान करतीं हैं। इन्ही के दोनों पुत्रों के नाम शुभ-लाभ लिखे जाते हैं। इसीलिए जिन लोगों को कल्याण और लाभ की कामना होती है, वो शुभ-लाभ नाम लिखते हैं। इससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। इतना ही नहीं भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय देवता माने जाते हैं।

डिस्क्लेमर- (इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)

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