विजयादशमी के दिन यूपी के कई जिलों में जमकर बारिश हुई। जिसके कारण रामलीला का उत्साह थोड़ा फीका हो गया। आलम यह रहा कि कई जगह आग लगने से पहले ही बारिश के कारण रावण के पुतले भीग गए। मौसम की बेरुखी ने आयोजकों के सारे इंतजाम पर पानी फेर दिया। हालांकि बाद में काफी मशक्कत के बाद पुतलों का दहन हो पाया।

मेरठ में बारिश के कारण रामलीला ग्राउंड में जलभराव हो गया। आयोजकों ने रावण के पुतले को बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन बारिश से वह भी काफी भीग गया है। यही स्थिति भैसाली, सूरजकुंड, जेलचुंगी समेत अन्य स्थानों पर रही। रामलीला ग्राउंड और बाहर तो जलभराव की ऐसी स्थिति हो गई कि लोगों को जलभराव के बीच से होकर गुजरना पड़ रहा है। आम लोग और रावण दहन के आयोजक परेशान हैं।

उधर, मथुरा के महाविद्या स्थित रामलीला मैदान में बारिश की वजह से रावण व अहिरावण के पुतले इतने भीग गए थे कि उनको जलाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। अग्निबाण लगते ही सबसे पहले अहिरावण के पुतले को जलाने की कोशिश शुरू हुई। वहीं रावण के पुतले को जलाने के लिए तरह-तरह के उपाय करने पड़े। करीब आधे घंटे के अथक प्रयासों के बाद रावण व अहिरावण के पुतलों को जलाया गया।

गोंडा में दोपहर बाद हल्की बारिश होने पर रामलीला मैदान से मेघनाद के पुतले को सुरक्षित स्थान पर ले जाना पड़ा। हालांकि, शाम को रावण दहन परंपरागत तरीके से हुआ।

नवमी की विदाई के साथ ही लखनऊ की सड़कें और मैदान गुरुवार को दशहरे के रंगों से सराबोर हो गए। विजयादशमी का यह पावन पर्व, जो भगवान राम की रावण पर विजय और मां दुर्गा की महिषासुर वध की स्मृति में मनाया जाता है, यहां के निवासियों ने अभूतपूर्व उत्साह के साथ निभाया। शहर के हर कोने से जय श्री राम और जय माता दी के उद्घोष गूंजते रहे, जबकि रावण दहन के दृश्यों ने अधर्म के अंत का संदेश प्रसारित किया। ऐतिहासिक रामलीला मैदानों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। ऐशबाग रामलीला मैदान में 65 फुट ऊंचा रावण का पुतला जलाया गया, जो बारिश से बचाने के लिए वाटरप्रूफ पॉलीथीन से ढका था।

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