यूक्रेन के साथ पिछले कई सालों से जारी युद्ध को रुकवाने के लिए अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हुए हैं। इसके बावजूद यूरोप ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया है। इससे नाराज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को दुनियाभर के नेताओं के साथ एक बैठक में साफ-साफ कह दिया कि यूरोप को रूस से तेल खरीदना बंद करना चाहिए। इसके अलावा, यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने के लिए चीन पर भी आर्थिक दबाव डालना चाहिए। उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल आयात करने को लेकर 25 फीसदी अतिरिक्त (कुल 50%) टैरिफ लगाया हुआ है, जबकि दूसरी ओर यूरोप को कोई सजा नहीं दी है। इसको लेकर दुनियाभर में ट्रंप की किरकिरी हो रही है।

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने यह टिप्पणी गुरुवार को यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और अन्य यूरोपीय नेताओं के साथ हुई एक बैठक में की। ट्रंप के इस कदम से माना जा रहा कि अमेरिकी प्रशासन युद्ध को रोकने के लिए अपने सहयोगियों को भी शामिल होने के लिए कह रहा है। इसके बाद, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि 26 देशों ने युद्धविराम समझौते के अंतिम रूप दिए जाने पर संभावित शांति सेना में योगदान देने का वादा किया है। मैक्रों ने गुरुवार को इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि यूक्रेन की सशस्त्र सेनाओं को मजबूत करने और यूक्रेन में यूरोपीय सैनिकों की तैनाती के साथ-साथ, यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी का तीसरा घटक अमेरिकी सुरक्षा जाल होना चाहिए।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने कहा, “आने वाले दिनों में हम इन सुरक्षा गारंटियों के लिए अमेरिकी समर्थन को अंतिम रूप देंगे।” रूस की सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए की रिपोर्ट के अनुसार, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शुक्रवार को कहा कि मॉस्को और कीव के बीच किसी भी शीर्ष-स्तरीय बैठक से पहले काफी काम करने की जरूरत है। व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि मैक्रों और यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप को गठबंधन बैठक में बुलाया और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यूरोप को रूसी तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए जिससे युद्ध को फायदा हो रहा है। क्योंकि रूस को एक साल में यूरोपीय संघ से ईंधन की बिक्री में 1.1 अरब यूरो मिले हैं।”

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