पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते महीने हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट की निगरानी में गठित जांच समिति ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस हिंसा में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का एक नेता भी शामिल था। हिंसा उस समय भड़की जब वक्फ संशोधन विधेयक पारित किया जा रहा था और हमले का निशाना खासतौर पर हिंदू समुदाय के लोग बने। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पीड़ित लोगों ने मदद के लिए पुलिस को पुकारा, तो पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया।

एनडीटीवी के मुताबिक, जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुर्शिदाबाद के स्थानीय पार्षद महबूब आलम ने खुद इन हमलों का नेतृत्व किया। वह शुक्रवार 11 अप्रैल को दोपहर 2:30 बजे के बाद बदमाशों के साथ गांव में पहुंचे और फिर आगजनी, लूटपाट और तोड़फोड़ का तांडव शुरू हुआ। रिपोर्ट में बताया गया कि बेटबोना गांव में 113 घर बुरी तरह प्रभावित हुए और वहां दुकानोंमें जमकर तोड़फोड़ और लूटपाट की गई।

पुलिस रही नदारद: रिपोर्ट

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि स्थानीय पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय और मौके से नदारद थी। इस रिपोर्ट को आज कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के सामने पेश किया गया। जांच टीम में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और न्यायिक सेवा से जुड़े अधिकारी शामिल थे। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद राज्य सरकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं और अब देखना होगा कि हाई कोर्ट इस मामले में क्या अगला कदम उठाता है।

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